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तू मेरा हमसफ़र (Part - 3) : Hindi Love Story

तू मेरा हमसफ़र (Part - 3) : Hindi Love Story
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Jan 29, 2022

 New Romantic & Hindi Love Story - नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आप सभी का आज की नई और मजेदार कहानी में। आज की इस कहानी का नाम है - " तू मेरा हमसफ़र  " । यह एक Hindi Love Stories है। जिसे पढ़कर आपको खूब मजा आने वाला है।

इस कहानी को हम 13 - भागों में पूरा करेंगे। कहानी को पूरा पढ़ने में हम आपकी मदद करेंगे। यह इस कहानी का ( भाग - 3 ) है।

New Hindi Love Story

अब तक आपने देखा ; गरिमा की सास अनुसूया कहीं बाहर गई हुई है। गरिमा और उसकी ननद रागिनी घर पर अकेले रह गए हैं। गरिमा रागिनी को कमरे में ले जाती है और उससे उसकी उदासी का कारण पूछती है। अब आगे...



 तू मेरा हमसफ़र - भाग (3) 

गरिमा - " तो दीदी बताओ ना कि बात क्या है ? आखिर आप मायके आने के बाद भी इतना ज्यादा उदास क्यों रहते हो ? "

रागिनी - " भाभी आप भी ना , बहुत जिद्दी हो। "

गरिमा - " वह सब मुझे नहीं पता। आप बस बताओ आखिर बात क्या है , आपको मेरी कसम ।

अब रागिनी को लगता है कि अब उसे अपनी भाभी को सब कुछ बताना ही पड़ेगा। जब तक नहीं बताऊंगी तब तक यह पूछती ही रहेंगी। और फिर रागिनी अपनी उदासी का कारण बताना शुरू कर देती है।

रागिनी - " भाभी , उस वक्त मेरी शादी बहुत जल्दी में हुई थी। 15 दिन में ही सगाई और फिर शादी भी। इतने से कम वक्त में मेरी अनुज से केवल 3 - 4 बार ही बात हुई थी। पहले मुझे लगता था कि वह काम में ज्यादा Busy होते होंगे इसलिए फोन नहीं करते।

इधर मेरे परिवार वाले भी बहुत खुश थे क्योंकि उनके अनुसार मेरी शादी एक बहुत ही अच्छे और बड़े खानदान में हो रही थी।



गरिमा - " फिर , फिर क्या हुआ दीदी ? "

रागिनी - " फिर शादी भी हो गई। मुझे अनुज का व्यवहार थोड़ा अजीब लगता था। मेरी हमेशा से यही इच्छा थी कि मेरा पति मुझे जान से भी ज्यादा प्यार करे। मेरी हर इच्छा पूरी करे। लेकिन इनका प्यार तो केवल रात के विस्तर तक रहता है। सुबह होते ही ऐसा लगता है कि मैं इनके लिए अनजान हूं। इनकी ऐसी हरकतों को देखकर मुझे लगता था कि कहीं इनकी Life में कोई दूसरी लड़की तो नहीं।


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लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। बहुत कोशिश करने के बाद पता चला कि उनकी Life में कोई लड़की नहीं है।

गरिमा - " फिर आपने क्या किया ? आपको जीजा जी से अच्छे से बात करनी चाहिए थी। आखिर पति हैं वो आपके।

रागिनी - " मैंने तो बाद में यही मान लिया था कि शायद इनका स्वभाव ही ऐसा है। लेकिन बाद में मैंने देखा कि पूरे परिवार का रवैया ही बदल रहा है तो मैं घबरा गई। मेरी सासु मां बात - बात पर ताने मारने लगी थी। ये मत करो वो मत करो। घर में किसी का आना - जाना भी उन्हें अच्छा नहीं लगता था। मेरे जेठ जी की शादी को 7 साल हो गए लेकिन अभी तक उनके घर में औलाद नहीं है। और इसी वजह से सासु मां जेठानी से भी लड़ती रहती हैं।

गरिमा - " दीदी इतना कुछ हो रहा था वहां , आपने मम्मा को बताया क्यों नहीं ? और ना ही रितिक को कुछ बताया।

रागिनी - " क्या बताती भाभी , शादी के 3 महीने बाद ही मुझे पता लागा कि मैं मां बनने वाली हूं। जबकि मैं इतनी जल्दी Baby नहीं चाहती थी। फिर भी मुझे लगा कि शायद यह बच्चा इस घर का माहौल ठीक कर दे। और फिर शायद अनुज के मन में भी मेरे लिए प्यार उत्पन्न हो जाए। ( यह बोलते बोलते उसकी आंखो में आंसू आ जाते हैं ) "



गरिमा - " दीदी , नहीं प्लीज़ रोना नहीं। आगे बताइए क्या हुआ वो बच्चा ....?? "

रागिनी - " जब मैंने अनुज को बताया तो उन्होंने बढ़ा ही Normal सा React किया। पता नहीं वो इस बात से खुश थे भी कि नहीं। उन्होंने बोला , मां को बताया , मैंने कहा नहीं , सोचा पहले आपको बता दूं। उन्होंने बोला कि मां को बता दे। "

गरिमा - " फिर ? "

रागिनी - " मैंने ये सब सासु मां को बताया तो वो बहुत खुश हुईं। उन्होंने सभी लोगों का मुंह मीठा कराया। मैं भी बहुत खुश थी। मुझे लगा शायद अब सब कुछ ठीक हो जायेगा। लेकिन शायद इस बात से मेरे जेठ - जेठानी खुश नहीं थे। या फिर मुझे ही ऐसा लग रहा था।

मेरी जेठानी , ऐसा लगता था कि वह मुझे कुछ बताना चाहती हैं। हमेशा डरी हुई और सहमी - सहमी सी लगती थी। मैंने कई बार उनसे पूछने की भी कोशिश की। ( बोलते - बोलते अचानक से चुप हो जाती है ) "

गरिमा - " फिर , उसके बाद क्या हुआ ? दीदी "

रागिनी - " फिर उन्होंने मेरा अबॉर्शन करवा दिया। "


गरिमा - " क्या ??? क्या मतलब दीदी ? आखिर क्यों ? "

रागिनी - " क्योंकि हमारे घर एक नन्हीं सी प्यारी सी परी आने वाली थी। और उनको बेटा चाहिए था बेटा। "

गरिमा - " और जीजा जी , उन्होंने इतना बड़ा अनर्थ होने से पहले कुछ भी नहीं सोचा। "

रागिनी - " आखिर उनको भी तो बेटा ही चाहिए था। "

गरिमा - " ‌‌‌‌‌छी: इतना पढ़ा लिखा और शिक्षित परिवार होने के बावजूद भी इतनी घटिया सोच। दीदी आप इतना चुप कैसे बैठ सकती हो , आपने कुछ किया क्यों नहीं ? आपको आपको पुलिस के पास जाना चाहिए था। आप ऐसे कैसे चुप रह सकते हो ? "

रागिनी - " ( गरिमा का हाथ पकड़ते हुए ) भाभी , मैंने कोशिश की उनके खिलाफ़ जाने की लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। सब के सब मिले हुए हैं। किसी ने भी मेरी Report नहीं लिखी। हां किसी ने अनुज को फ़ोन करके बता दिया कि मैं यहां हूं , वो जबरदस्ती मुझे घर लेकर गए।

उन्हें पता चल गया था कि मैं चुप रहने वाली नहीं हूं। वो मेरी कमजोरी ढूंढ रहे थे। जिससे वो मेरा मुंह बंद करवा सकें। और आखिर में उन्हें कमजोरी मिल ही गई। "



और इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि रागिनी के साथ आगे क्या हुआ और अनुज को रागिनी की कौन सी कमजोरी पता चल गई , तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।




Special Words :

उम्मीद करता हूं , दोस्तो ! आपको आज की यह Love Story ( तू मेरा हमसफ़र ) काफी पसंद आयी होगी। पसंद आयी हो तो नीचे comment में हमें जरूर बताएं। यह इस कहानी का तीसरा भाग है। अगर आप इस कहानी का अगला भाग भी पढ़ना चाहते हैं तो Comment जरूर करें।

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Pradeep Kushwah

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