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तू मेरा हमसफ़र (Part - 2) : Hindi Love Story

तू मेरा हमसफ़र (Part - 2) : Hindi Love Story
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Jan 21, 2022

New Romantic & Hindi Love Story - नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आप सभी का आज की नई और मजेदार कहानी में। आज की इस कहानी का नाम है - " तू मेरा हमसफ़र  " । यह एक Hindi Love Stories है। जिसे पढ़कर आपको खूब मजा आने वाला है।


इस कहानी को हम 13 - भागों में पूरा करेंगे। कहानी को पूरा पढ़ने में हम आपकी मदद करेंगे। यह इस कहानी का ( भाग - 2 ) है।


अब तक आपने देखा ; रागिनी अपने भाई की शादी के बाद पहली बार अपने मायके लौटी है। घर पहुंचने के बाद वह सभी से गले मिलती है। सभी लोग उसका खूब प्यार से स्वागत करते हैं और इसी के साथ सभी लोग घर में प्रवेश करते हैं। अब आगे ...


 तू मेरा हमसफ़र - भाग  (2) 

अनुसूया अपनी बेटी से पूछती है - " बेटा ,  तुम्हारे ससुराल में सब लोग कैसे हैं ? और दामाद जी कैसे हैं ? तू वहां खुश तो है ना। "

रागिनी ( अपनी मां को दिलासा देते हुए ) - " हां , मां । सब लोग बहुत अच्छे हैं। बहुत ख्याल रखते हैं मेरा। वह भी बहुत अच्छे हैं। हां लेकिन थोड़ा समय लगा मुझे भी वहां Adjust करने में क्योंकि वहां का माहौल कुछ अलग था। लेकिन अब सब कुछ ठीक है। "


गरिमा ( शंका से सवाल पूछते हुए ) - " क्या मतलब दीदी । "

रागिनी - " अरे ! कुछ नहीं भाभी। अभी तो मुझे आपसे बहुत सारी बातें करनी है।

गरिमा - " ठीक है दीदी। आप पहले फ्रेश हो जाओ। तब तक मैं आपके लिए गरमागरम खाना लगा देती हूं। "

शाम के भोजन का समय हो जाता है। सभी लोग Dining Table पर बैठ जाते हैं। इतनी में रागिनी के पिताजी दफ्तर से लौट आते हैं। रागिनी अपने पिता से मिलती है। रागिनी के पिता रागिनी से मिलकर काफी खुश होते हैं। सभी लोग हंसते मुस्कुराते हुए शाम का भोजन करते हैं।


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लेकिन गरिमा देखती है कि रागिनी अंदर से बिल्कुल भी खुश नहीं है। वह खोई खोई सी लग रही है। लेकिन तब गरिमा ने सभी लोगों के सामने इस बारे में पूछना ठीक नहीं समझा।


12:00 बज चुके हैं। और सभी लोग उठकर अपने विश्राम के लिए कमरे की ओर प्रस्थान करते हैं। लेकिन गरिमा रागिनी की चिंता को लेकर खोई हुई है।

रितिक ( खांसते हुए ) -  " ओह हो ! मिसेज रितिक अग्रवाल । कहां खोए हुए हो। " 

रागिनी - " कहीं नहीं जी , वह मैं सोच रही थी कि आप इतना सज धज कर Office क्यों जाने लगे हो। आखिर चक्कर क्या है ? "

रितिक - " Oh God ! मतलब आपको मेरे चक्कर के बारे में सब कुछ पता चल गया। " 

गरिमा ( गुस्से से ) - " क्या !!! "

रितिक - " यार ! अब मैं आपको क्या बताऊं ? मैं एक लड़की से प्यार करता हूं। इतना प्यार करता हूं कि मैं उसे छोड़ नहीं सकता। "

गरिमा ( रितिक के पास खिसक ते हुए ) - " देखो शोना ! मुझे ऐसा मजाक बिल्कुल भी पसंद नहीं है। अगर मुझे गुस्सा आ गया तो...

रितिक - " तो क्या ? "

गरिमा - " तो मैं , तो मैं , मैं आपसे बात नहीं करूंगी। "

रितिक ( हंसते हुए ) - " मुझे पता था बेबी , आप यही बोलोगे। "


रितिक प्यार से गरिमा को अपनी बाहों में खींचता है और थोड़े समय के लिए वे दोनों प्यार में डूब जाते हैं। जल्दी ही गरिमा रितिक को पीछे कर देती है।

गरिमा - " बस कीजिए अब। सो जाइए । फिर आप सुबह जल्दी नहीं उठते। "

रितिक - " तो सुबह कौन कमबख्त जल्दी उठना चाहता है ? "

गरिमा - " आप तो नहीं उठना चाहते , लेकिन मुझे तो सुबह जल्दी उठना होता है। " 

रितिक - " अच्छा जनाब ! आजाओ फिर। " 

दोनों लोग बिस्तर पर लेट जाते हैं। गरिमा Light Off कर देती है।


फिर सुबह होती है। सब लोग उठ जाते हैं। रितिक और उसके पापा दफ्तर जा चुके होते हैं। अब केवल घर में तीनों औरतें ही होती हैं। अनुसूया और रागिनी बातचीत कर रहे होते हैं। गरिमा भी घर के सभी काम जल्दी जल्दी निपटाने में लगी हुई है ताकि वह भी इस महफिल का हिस्सा बन सके।

अनुसूया - " गरिमा बेटा इधर आओ। " 

गरिमा - " आई मम्मा ! "


अनुसूया - " मैं ना तेरी वर्मा आंटी के घर जा रही हूं। उनकी बहू के घर बेटी हुई है। तो उसे देख आती हूं और शगुन भी दे आती हूं। तुम दोनों घर पर ही रहना। कहीं ऐसा ना हो दोनों बाहर बाजार घूमने चले जाओ। "

गरिमा - " Ok मम्मा ! आप जाओ। हम लोग कहीं नहीं जाएंगे। वैसे भी मुझे अभी दीदी से बहुत सारी बातें भी करनी है। "

अनुसूया - " ठीक है , मैं जा रही हूं। "

अनुसूया चली जाती है। फिर गरिमा रागिनी को कमरे में ले जाती है। गरिमा बहुत खुश है क्योंकि उसे रागिनी से बहुत सारी बातें करने का मौका मिल चुका है।

गरिमा (रागिनी से ) - " दीदी , एक बात बताओ आप इतना कम क्यों बोलती हो । "

रागिनी ( हंसते हुए ) - " भाभी आपसे किसने कहा कि मैं कम बोलती हूं। "

गरिम - " बस ऐसे ही , मुझे लगा "

रागिनी - " वह सब छोड़िए भाभी , आप यह बताइए कि भाई और आपकी Love Story शुरू कैसे हुई ? "

गरिमा ( शरमाते हुए ) - " दीदी , वो यह मेरे College में सीनियर थी। मुझे तो इन्हें देख कर पहली नजर में ही प्यार हो गया था। वह तो इन्हें ही Late हुआ। पहले तो ये मेरी तरफ देखते भी नहीं थे। "

रागिनी - " अच्छा जी , इतनी ज्यादा सुंदर हो आप। आखिर भाई कब तक नहीं देखते। "

गरिमा - " अच्छा दीदी , बेशक मै देखने में ठीक ठाक हूं लेकिन आप तो मुझसे भी ज्यादा सुंदर है। अच्छा दीदी एक बात बोलूं , आप और भी ज्यादा सुंदर लगोगी अगर आप अपने प्यारे से चेहरे पर प्यारी सी स्माइल रखोगी तो। कल से मैं देख रही हूं आपकी Smile गायब सी हो गई है।


रागिनी - " ख़ामोश होते हुए , नहीं - नहीं भाभी ; ऐसी कोई बात नहीं। "

गरिमा - " अच्छा दीदी मैं समझ गई। आपको जीजा जी की याद आ रही है ना। "

रागिनी - " नहीं भाभी , ऐसा कुछ नहीं है। "

गरिमा - " तो फिर ? "

बस इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है।



 << तू मेरा हमसफ़र - भाग (3) >> 




Special Words -

उम्मीद करता हूं , दोस्तो ! आपको आज की यह Love Story ( तू मेरा हमसफ़र ) काफी पसंद आयी होगी। पसंद आयी हो तो नीचे comment में हमें जरूर बताएं। यह इस कहानी का दूसरा भाग है। अगर आप इस कहानी का अगला भाग भी पढ़ना चाहते हैं तो Comment जरूर करें।

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 << तू मेरा हमसफ़र - भाग (1) >>  

Pradeep Kushwah

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