New Romantic & Hindi Love Story - नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आप सभी का आज की नई और मजेदार कहानी में। आज की इस कहानी का नाम है - " तू मेरा हमसफ़र " । यह एक Hindi Love Stories है। जिसे पढ़कर आपको खूब मजा आने वाला है।
इस कहानी को हम 13 - भागों में पूरा करेंगे। कहानी को पूरा पढ़ने में हम आपकी मदद करेंगे। यह इस कहानी का ( भाग - 4 ) है।
अब तक आपने देखा ; गरिमा रागिनी से उसकी उदासी का पूरा कारण जान लेती है। और वह उसे इस जुर्म के खिलाफ खड़ा होने की सलाह देती है। लेकिन दूसरी तरफ रागिनी की कमजोरी का पता अनुज को लग जाता है। और इस वजह से रागिनी कोई दूसरा कदम नहीं उठा पाती है। अब आगे...
तू मेरा हमसफ़र - भाग (4)
रागिनी - " मुझे हमेशा से लगता था कि मेरी जेठानी मुझसे कुछ कहना चाहती है। वह हमेशा डरी-डरी और गुम - सुम सी लगती है। आखिर एक दिन मुझे मौका मिला और मैंने उनसे उनकी घबराहट का कारण पूछ ही लिया। "
तभी रागिनी खड़ी हो जाती है जैसे उसे कोई भूला हुआ काम याद आ गया हो। और उसकी आंखें भी भर आती हैं।
गरिमा - " दीदी बताइए ना, आखिर आपकी जेठानी जी आपसे क्या कहना चाहती थीं। "
रागिनी - " हम्म, कैसे बताऊं मैं आपको भाभी... मैं.. मैं कैसे पापी लोगों के बीच में रहती हूं। उस दिन दीदी ने बताया मुझे कि मेरे ससुराल वालों ने उनका भी तीन बार अबॉर्शन करवाया था। तीन बार अजन्मी जान को मार डाला उन पापियों ने। इस परिस्थिति के कारण मेरी जिठानी बिल्कुल टूट चुकी हैं। "
यह सुनकर गरिमा की पैरों तले जमीन खिसक गई। यह सुनकर गरिमा एकदम सुन्न हो जाती है। उसे भरोसा नहीं होता कि जो खबरें अखबार और टीवी पर देखने को मिलती हैं, वह सब उसकी ननद के घर पर ही हो रही हैं।
गरिमा - " दीदी आपके ससुराल में इतना कुछ हो रहा है और आप चुप बैठे हो। क्यों दीदी ??? "
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रागिनी - " क्योंकि उन पापी लोगों को मेरी कमजोरी का पता लग चुका है। मेरी जेठनी फिर से मां बनने वाली है। मेरी सास ने मुझे धमकाया है कि अगर मैंने किसी को कुछ भी बताया तो वह इस बच्चे को भी मार देंगे। और अगर मैंने अपना मुंह बंद रखा तो वह इस बच्चे को इस संसार में आने देंगे। मेरी जेठानी मुझसे हर दिन यही विनती करती है कि मैं उन लोगों के खिलाफ ना जाऊं। अगर मैंने ऐसा कुछ किया तो कुछ भी गलत हो सकता है। इसलिए चुप हूं मैं भाभी.. ।
एक बार इस बच्चे का जन्म ठीक से हो जाए। फिर मैं इन पापी लोगों के खिलाफ सबूत इकट्ठे करूंगी और इन सब को पुलिस के पास लेकर जाऊंगी। "
गरिमा - " अच्छा दीदी क्या गारंटी है कि इस बच्चे के जन्म हो जाने के बाद यह लोग इस बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे ? "
रागिनी - " नहीं पहुंचाएंगे भाभी...। वह लोग इज्जत की चादर ओढ़ने वाले पापी लोग हैं। आस-पड़ोस और रिश्तेदारों के सामने वह एक इज्जत दार और खानदानी परिवार का दिखावा करते हैं। दिखावा ही सही लेकिन इस बच्चे के जन्म हो जाने के बाद वे इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। "
गरिमा - " लेकिन दीदी...। इन लोगों को इस तरह से नहीं छोड़ सकते। हमें कुछ तो जरूर करना होगा। "
रागिनी - " हम्म..। भाभी आप तो बहुत खुश नसीब हो जो आपको अपना हमसफ़र खुद चुनने का मौका मिला। और एक मैं बदनसीब हूं जिसके हमसफर को इस शब्द का अर्थ ही नहीं मालूम। "
गरिमा - " दीदी आप बिल्कुल भी टेंशन मत लो। मैं आज ही रितिक को सब कुछ बता दूंगी। "
रागिनी - " नहीं भाभी । आपको मेरी कसम , आप भाई से कुछ नहीं कहोगे। मैं कोई Risk नहीं लेना चाहती। इस वक्त मुझे चुप ही रहना पड़ेगा। इसी में सबकी भलाई है। यह लोग जैसा कहेंगे मुझे वैसा ही करना पड़ेगा। "
गरिमा - " ठीक है दीदी। लेकिन आप मुझसे Promise करो कि आप मुझसे कुछ नहीं छिपाएंगी। उस परिवार में क्या चल रहा है सब कुछ मुझे बताएंगी। "
रागिनी - " ठीक है भाभी। "
इतने में अनुसूया वापस आ जाती है। आज रितिक भी दफ्तर से घर जल्दी वापस आ जाता है। भोजन का समय होता है। Dining Table पर अनुसूया, रितिक और रागिनी बैठे होते हैं। गरिमा भोजन परोस रही होती है।
अनुसूया - " गरिमा , आ बैठ तू भी खा ले। "
गरिमा - " हां मम्मा, बेठती हूं। और आप बताओ आंटी जी की पोती कैसी है ? अपनी मम्मा पर गई है या फिर पापा पर। आंटी जी की बहू काफी सुंदर है। अगर उनकी पोती अपनी मम्मा पर गई होगी तो वह भी काफी सुंदर होगी। "
अनुसूया कुछ बोलती है लेकिन उससे पहले रितिक बोल पड़ता है।
रितिक - " क्या मतलब आपका। मम्मा पर गई होगी , उसके पापा भी तो स्मार्ट है शायद पापा पर गई हो। "
गरिमा - " जी नहीं , लड़कियां अगर अपनी मां पर जाएं तो ज्यादा सुंदर लगते हैं और लड़के पापा पर। हैं ना मम्मा। "
रागिनी उन दोनों को देखकर बहुत खुश होती है। उसे लगता है कि अगर पति पत्नी का रिश्ता ऐसा हो तो जिंदगी कितनी आसान और खूबसूरत लगती है। लेकिन शायद उसके नसीब में यह सब नहीं है।
अनुसूया - " तो सुन लो तुम दोनों। मुझे पोता रितिक जैसा और पोती गरिमा जैसी चाहिए। और अब तुम दोनों इस बारे में भी सोचो। दोनों बच्चों की तरह लड़ते रहते हो। "
यह सब सुनकर गरिमा शर्मा जाती है। वह चुपचाप नजरें झुका कर खाना खाने लगती है और देखती है कि रितिक भी चुपचाप खाना खा रहा है और तिरछी नजरों से बार-बार उसे देख भी रहा है। यह सब देखकर गरिमा को हंसी आ जाती है।
रितिक - " रागिनी वैसे जीजा जी घर कब आ रहे हैं। शादी से अब तक केवल एक ही बार वह यहां आए हैं। "
रागिनी - " हां आयेंगे। वो काम का थोड़ा ज्यादा Pressure रहता है। लेकिन इस बार वो जरूर आएंगे। "
गरिमा और रागिनी एक दूसरे को देखते हैं जैसे वे दोनों एक दसरे को हिम्मत दे रहे हों। खाना खाकर रागिनी अपने कमरे में जाती है और कमरे को लॉक करके वह अनुज को फ़ोन करती है। Bell जाती है लेकिन कोई फ़ोन Recieve नहीं करता।
रागिनी एक बार फिर से कोशिश करती है और इस बार अनुज फोन उठा लेता है।
रागिनी - " हेलो.. हेलो अनुज। "
अनुज - " बोलो "
रागिनी - " तुमसे एक जरूरी बात करनी है। "
अनुज - " अभी Busy हूं बाद में करना बाय। "
रागिनी - " हेलो, हेलो पर मेरी बात तो सुनो। "
फ़ोन कट हो जाता है। वो बिस्तर पर बैठ जाती है और उसकी आंखो में आंसू आ जाते हैं लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को शान्त कर लेती है।
और इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि रागिनी ने आगे क्या किया और उसे अनुज से क्या जरूरी बात करनी थी तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।
Special Words :
उम्मीद करता हूं , दोस्तो ! आपको आज की यह
Love Story (
तू मेरा हमसफ़र ) काफी पसंद आयी होगी। पसंद आयी हो तो नीचे comment में हमें जरूर बताएं। यह इस कहानी का चौथा भाग है। अगर आप इस कहानी का अगला भाग भी पढ़ना चाहते हैं तो
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