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तू मेरा हमसफ़र (Part - 5) : Hindi Love Story

तू मेरा हमसफ़र (Part - 5) : Hindi Love Story
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Feb 10, 2022

 New Romantic & Hindi Love Story - नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आप सभी का आज की नई और मजेदार कहानी में। आज की इस कहानी का नाम है - " तू मेरा हमसफ़र " । यह एक Hindi Love Stories है। जिसे पढ़कर आपको खूब मजा आने वाला है।


इस कहानी को हम 13 - भागों में पूरा करेंगे। कहानी को पूरा पढ़ने में हम आपकी मदद करेंगे। यह इस कहानी का ( भाग - 5 ) है।


अब तक आपने देखा ; रागिनी खाना खाकर अपने कमरे में जाती है और कमरे को लॉक करके वह अनुज को फ़ोन करती है। रागिनी अनुज से कोई जरूरी बात करना चाहती है। अनुज फ़ोन उठाता है लेकिन काम में Busy हूं, कहकर जल्दी ही फ़ोन कट कर देता है। अब आगे...



 तू मेरा हमसफ़र - भाग (5) 


रात बहुत हो चुकी है रागिनी को नींद नहीं आ रही। वो बार बार फोन की तरफ देखती है। शायद इस उम्मीद से कि अनुज काम से फ्री होकर उसे फोन करेगा। कुछ समय इंतजार करने के बाद वह दोबारा कोशिश करती है। इस बार Bell बजते ही अनुज फोन उठा लेता है।

अनुज - " हेलो "

रागिनी - " काम से फ्री हो अब। "

अनुज - " हां बोलो क्या बात करनी है ? "

रागिनी - " मुझे लेने कब आ रहे हो ? "

अनुज - " तुझसे किसने बोला कि मैं तुझे लेने आ रहा हूं ? जैसे गई थी ना वैसे ही वापस आ जाना। कोई दूध पीती बच्ची तो हो नहीं जो रास्ता भटक जाओगी। "

रागिनी - "  मुझे लेने के लिए तो तुम्हे ही आना पड़ेगा। भाई पूछ रहे थे कि आखिर आप यहां क्यों नहीं आते। बता दूं उनको आपकी करतूतों के बारे में। "

अनुज - " बकवास मत कर। परसो रविवार है, आ जाऊंगा, तैयार रहना। "

बस इतना कहकर वो फ़ोन कट कर देता है। रागिनी अपने ख्यालों में खोयी खोयी सो जाती है।

सुबह रितिक ऑफिस चला जाता है। रागिनी और गरिमा , गरिमा के कमरे में चले जाते हैं। वहां रागिनी गरिमा को बताती है कि कल अनुज उसे लेने के लिए यहां आ रहे हैं। एक पल के लिए तो गरिमा के मन में विचार आया कि कल ही वह अनुज की सच्चाई सभी के सामने ले आएगी। लेकिन रागिनी की वजह से वह चुप थी।

तभी गरिमा के मन में विचार आता है कि वे दोनों अनुज को सबक जरूर सिखाएंगी। कल वह दोनों अनुज से कुछ ऐसी बातें करेंगी कि अनुज को पछतावा होने लगे कि आखिर उसने ऐसा घटिया काम क्यों किया ?


गरिमा की हमेशा से यही सोच थी कि जो लोग औरत की इज्जत नहीं करते उन्हें भी इज्जत पाने का अधिकार नहीं है।
लेकिन गरिमा रागिनी को इस बात की भनक तक भी नहीं लगने देती कि आखिर उसके दिमाग में चल क्या रहा है। वह अनुज को इस कदर डराना चाहती है कि सपने में भी उसे अपने कर्मों पर पछतावा होने लगे।

अगले दिन रविवार को रागिनी अपनी मां को बताती है कि आज अनुज उसे लेने आने वाला है। रविवार होने के कारण रितिक और उसके पापा बहुत खुश हैं क्योंकि वे भी अनुज से मिल पाएंगे। लेकिन अभी भी रागनी डरी हुई है क्योंकि उसे लगता है कि गरिमा के दिमाग में कुछ ना कुछ चल रहा है।

सब लोग टीवी देख रहे हैं तभी अचानक दरवाजे की घंटी बजती है। गरिमा झट से खड़ी होकर दरवाजा खोलती है तो सामने लंबा, गोरे रंग रूप वाला एक लड़का खड़ा पाती है। गरिमा को पहचानने में देर नहीं लगती कि यह अनुज ही है क्योंकि गरिमा ने उसकी तस्वीर पहले भी देख ली थी।

गरिमा - " नमस्ते जीजू , अंदर आइए ना। "

अनुज - " नमस्ते जी "

अनुज अंदर आकर अपने सास-ससुर के पैर छूता है और रितिक से गले मिलता है। थोड़ी देर औपचारिक बातें होने के बाद अनुज रागिनी को तैयार होने के लिए बोलता है। लेकिन सब लोग मिलकर उसे एक रात वहीं रुकने के लिए बोलते हैं और सुबह जल्दी जाने की सलाह देते हैं। रोहित को ना चाहते हुए भी रुकना पड़ता है।

रात को डिनर के बाद रितिक अनुज को छत पर ले जाता है। उधर गरिमा भी रागिनी को छत पर ले जाती है। चारों लोग छत पर बैठकर ठंडी ठंडी हवा का आनंद ले रहे है। लेकिन अनुज के मन में यही चल रहा है कि कब रात खत्म हो और वह सुबह होते ही घर के लिए निकल जाए।

गरिमा मौका देख कर बात शुरू करती है...

गरिमा - " और बताइए जीजू आपका काम कैसा चल रहा है ? "
अनुज - " जी , अच्छा चल रहा है। "


रितिक - " गरिमा , आपको नहीं पता हमारे जीजा जी एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन हैं। हमारी रागिनी बहुत किस्मत वाली है जो उसे इतना अच्छा परिवार मिला। क्यों रागिनी ? "

रागिनी (अनुज की ओर देखते हुए) - " जी भाई , सही कहा आपने। मैं बहुत किस्मत वाली हूं जो मुझे ऐसा ससुराल मिला , सब की ऐसी किस्मत नहीं होती। "

इस बार अनुज रागिनी की ओर देखता है जो उसे ही देख रही थी।

गरिमा - " सही कहा रितिक आपने ( रितिक के पास आकर बैठ जाती है)। और मैं, मैं भी तो बहुत लक्की हूं जो मुझे इतना प्यारा ससुराल मिला। ऐसा बोलते हुए वह रितिक के कंधों पर सर रखते हुए मुस्कुराती है। "

रितिक (हंसते हुए) - " हां हां , आप तो कुछ ज्यादा ही लक्की हो। हाहा... "

गरिमा - " हम्म , पर आज के समय में भी समाज में ऐसी घटनाएं होती हैं जिन्हें सुनकर रूह तक कांप जाती है कि ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। (रागिनी की तरफ देखते हुए) पता है दीदी, मेरे बड़े भैया जो पुलिस ऑफिसर हैं ना वो बता रहे थे कि उन्होंने कल एक बहुत बड़ा केस सॉल्व किया है। "

रागिनी - " कैसा केस, भाभी ? "

गरिमा - " भ्रूण हत्या का केस "

अनुज जो उनकी बातों पर पहले ध्यान नहीं दे रहा था। भ्रूण हत्या शब्द सुनकर सुन्न हो गया जैसे कि उसकी चोरी पकड़ी गई हो।

गरिमा - " एक पढ़ा-लिखा परिवार था जिसमें बहुओं का अबॉर्शन करवा दिया जाता था क्योंकि पैदा होने वाला बच्चा लड़की होती थी। उन्होंने चार बार ऐसा किया था। और बहुओं को mentally और physically टॉर्चर भी करते थे।

रितिक - " सच में क्या ??, कमाल है यह दुनिया भी। आज 22वीं शताब्दी में ऐसी सोच रखने वालों की भी कमी नहीं है। दुनिया कहां से कहां पहुंच गई। लेकिन ऐसे लोग आज भी लड़की और लड़के में फर्क मानते हैं। "

गरिमा - " हम्म , पर कहते हैं ना स्वर्ग और नरक सब यही धरती पर ही है। भैया बता रहे थे कि किसी तरह उनको उनकी ऐसी हरकतों का पता चल गया। जब पुलिस ने कार्यवाही शुरू की तो उस डॉक्टर का भी पता चल गया। डॉक्टर का क्लीनिक तो बंद हुआ ही साथ ही पूरा परिवार भी जेल की सलाखों के अंदर डाल दिया गया।


पुलिस ने उनको इतना 3rd digree टॉर्चर किया, इतना मारा कि इस जन्म में तो क्या अगले जन्म में भी ऐसा दुष्कर्म करने की इच्छा नहीं करेंगे। "

रागिनी - " भाभी क्या सच में पुलिस इतना मारती है ?? मुजरिमों को "

गरिमा - " हां दीदी , मुझे यह सब इसलिए पता है क्योंकि भैया हमें बताते रहते हैं। और सही भी है ऐसे लोगों के साथ ऐसा ही होना चाहिए। भैया बता रहे थे कि उनको कम से कम 10 साल की सजा तो होगी ही और अब तो कानून इतने सख्त हो चुके हैं कि जमानत भी नहीं मिलती ऐसे केसों में। "

अनुज - " (जो बड़े ध्यान से गरिमा की बातें सुन रहा था, एकदम से) क्या, 10 साल ?? "

गरिमा की बातें सुनकर अनुज अब घबरा चुका था। उसकी घबराहट उसके चेहरे पर साफ नजर आने लगी थी।

गरिमा - " हां जीजू , क्योंकि पुलिस ने उन पर और भी केस डाले हुए हैं, domestic violence का भी। अब उन सब की अकल ठिकाने आ जाएगी। "

रागिनी - " बुरे काम करने वाले लोग चाहे दुनिया के सामने कितना भी अच्छा बनने की कोशिश करें। लेकिन एक बार पुलिस की नजर पड़ जाती है उन पर,,, तो कानून से उन्हें कोई नहीं बचा सकता।

(उनकी नजरें अनुज पर है जो इतनी ठंड होने के बावजूद भी पसीने से भीग चुका है।) "

रितिक - " कभी-कभी तो मेरा ऐसा खून खोलता है कि ऐसे लोग मेरे सामने आए तो उन्हें निचोड़ के रख दूं। "

अनुज - " रात बहुत हो गई है, मेरे ख्याल से अब हमें सोना चाहिए। सुबह जल्दी भी जाना है हमें। "

रितिक - " ठीक है, चलते हैं फिर नीचे। "

रितिक और अनुज नीचे चले जाते हैं। गरिमा रागिनी की ओर देखते हुए मुस्कुराती है। रागिनी के पूछने पर गरिमा बताती है कि ऐसे केस की कोई बात की ही नहीं भैया ने। यह सब तो उनकी बनाई हुई कहानी है। अनुज को यह सब बताने के लिए कि जो काम उन लोगों ने किया है उसका क्या अंजाम हो सकता है ?

रागिनी को एक पल के लिए तो लगता है कि लोग तो यूं ही ननद - भाभी के रिश्ते को बदनाम करते रहते हैं। और एक उसकी भाभी है जो उसकी इतनी फिक्र करती हैं।

वह गरिमा के गले लगती है और उसे शुक्रिया बोलती है। इस पर गरिमा बोलती है कि अभी तो सिर्फ उसने चिंगारी फेंकी है जो आगे चलकर आग पकड़ने वाली है।


और इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि गरिमा की इस चिंगारी ने आग का रूप धारण करके अनुज की जीवन में क्या किया तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।



Special Words :

उम्मीद करता हूं , दोस्तो ! आपको आज की यह Love Story ( तू मेरा हमसफ़र ) काफी पसंद आयी होगी। पसंद आयी हो तो नीचे comment में हमें जरूर बताएं। यह इस कहानी का पांचवा भाग है। अगर आप इस कहानी का अगला भाग भी पढ़ना चाहते हैं तो Comment जरूर करें।

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Pradeep Kushwah

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