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2022 में होली कब है ? Holi Kab Hai (Date & Time)

2022 में होली कब है ? Holi Kab Hai (Date & Time)
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Mar 5, 2022

 

2022 में होली कब है ? Holi Kab Hai (Date & Time)

2022 में होली कब है ? - नमस्कार दोस्तो ! Techy Jaadu में एक बार फिर से आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज हम अपने भारत देश के सबसे धार्मिक पर्व " होली " के बारे में जानेंगे। इस त्यौहार पर बच्चे बूढ़े और जवान सभी मिलकर बड़े ही धूमधाम से इस त्यौहार को मनाते हैं और तरह तरह के मनोरंजन करते हैं। इस त्यौहार को लोग कैसे मनाते हैं और 2022 में होली कब है ? Holi Kab Hai (Date & Time) के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।


 2022 Mein Holi Kab Hai. 2022 में होली कब है ? 

हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 में होली का त्यौहार 18 मार्च दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसे हम बड़ी होली भी कहते हैं। होलिका दहन 2022 में 17 मार्च को किया जाएगा , जिसे हम छोटी होली के नाम से भी जानते हैं।


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 होलिका दहन कितने बजे है 2022 में ? 

होलिका दहन बड़ी होली के 1 दिन पहले मनाया जाता है। होलिका दहन में होली को जलाया जाता है और उसमें से थोड़ी सी आग लाकर घर - घर में छोटी होली जलाई जाती है। और इस तरह से होलिका दहन होता है। साल 2022 में होलिका दहन 17 मार्च को किया जाएगा।


 होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2022 

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त हर वर्ष अलग - अलग समय पर होता है। शुभ मुहूर्त के चलते होलिका दहन करने पर होलिका दहन के साथ - साथ प्रत्येक कार्य संपन्न होता है। घर में सुख शांति का वास होता है। साल 2022 में होलिका दहन शुभ मुहूर्त  9:20 55 सेकंड से शुरू होकर 10:31 9 सेकंड तक रहेगा।

 होलिका दहन किस दिशा में होगा 2022 में 

होलिका दहन करते समय लो की दिशा का ज्ञान होना अति आवश्यक है। होलिका दहन करते समय लो पूर्व दिशा की ओर उठे तो स्वास्थ्य और रोजगार के लिए लाभदायक माना जाता है। और अगर लो पश्चिम दिशा में उठे तो आर्थिक स्थिति सुधर सकती है। वहीं अगर होलिका दहन की लो उत्तर दिशा में उठे तो सुख शांति का वास होता है और व्यर्थ की चिंता का नाश होता है। लो अगर दक्षिण दिशा में उठे तो यह अशुभ संकेत होता है, किसी भी काम में हानि हो सकती है।

 होलिका दहन, होली से पहले क्यों मनाया जाता है ? 

होलिका दहन होली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इसका कारण है, धार्मिक अच्छाई की बुराई पर जीत होना। प्रहलाद नास्तिक राजा हिरण्याकश्यप का पुत्र था। वह भगवान विष्णु का भक्त था। प्रहलाद को मारने के लिए हिरण्याकश्यप ने उसे होलिका के साथ आग में बैठा दिया। होलिका आग में जलकर मर गई लेकिन प्रहलाद एकदम सुरक्षित आग से बाहर निकला। तभी से लोग होली का त्यौहार मनाने लगे।


 होली पर निबंध हिन्दी में 

होली एक ऐसा रंग बिरंगा पर्व है जिस पर हर धर्म के लोग बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मोज मस्ती करते हैं। रंग बिरंगो का यह पर्व जाति, समुदाय, या क्षेत्र के बंधन को तोड़कर भाईचारे की भावना को उत्पन करता है। सभी लोग मिलकर इस त्यौहार को बढ़े ही धूम - धाम से मनाते हैं। इस त्यौहार पर सभी लोग एक दूसरे को रंग - गुलाल लगाते हैं और एक दूसरे के गले लगते हैं। होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली  के त्यौहार के पीछे अनेक कहानियां जुड़ी हैं। होली के एक दिन पहले रात को होलिका दहन किया जाता है जिसे हम छोटी होली के नाम से भी जानते हैं।

भक्त प्रह्लाद के पिता हिरण्याकश्यप स्वयं को ही भगवान मानते थे। लेकिन प्रहलाद विष्णु भक्त था। हिरण्याकश्यप को प्रहलाद की भक्ती पसन्द नहीं थी। और उसने प्रहलाद की भक्ती को भंग करने का काफ़ी प्रयास किया लेकिन कामयाब नहीं हुआ। तब उसने अपनी बहिन होलिका की मदद ली। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका प्रहलाद को लेकर जलती हुई चिता में बैठ गई। प्रहलाद अपने भगवान विष्णु की भक्ती में लीन रहा। परिणाम यह हुआ कि होलिका तो आग में जलकर मर गई लेकिन प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ।

यह घटना यह संकेत देती है कि बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर हो लेकिन अच्छाई के सामने वह हमेशा घुटने टेक देती है। बुराई के नाश के संकेत में लोग होलिका दहन करते हैं और उसके दूसरे दिन रंगो से होली खेलते हैं। यह त्यौहार रंगो का त्यौहार होता है। इसे बड़ी होली भी कहते हैं। इस दिन प्रातः काल लोग एक दूसरे के घर जाकर बधाईयां देते हैं और रंग गुलाल लगाते हैं। यह त्यौहार बच्चों के लिए काफ़ी विशेष है क्योंकि  इसके लिए वे तरह - तरह के खिलौने और पिचकारियां लेकर आते हैं और खूब मजे करते हैं।


 होली क्यों मनाई जाती है ?

होली का त्यौहार भारत देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भारतीय लोगों के अलावा नेपाली लोग भी इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार रंगों और खुशियों का त्यौहार है। इस दिन लोग पुरानी बातों को भुलाकर एक नई शुरुआत करते हैं और एक दूसरे के गले लगते हैं। सुबह सभी लोग मिलकर होली के गीत गाते हैं और नाचते हैं। इस दिन रंगों की ही नहीं बल्कि कीचड़ की भी होली होती है। 

सुबह होली हो जाने के बाद दोपहर को सभी लोग स्नान करते हैं और नये - नये कपड़े पहनते हैं। फिर शाम को लोग एक दूसरे के घरों में जाकर बधाईयां देते हैं और गले लगते हैं। 

 2022 में होली कब मनाई जाएगी ? 

हिंदू धर्म के अनुसार होली की आग में सभी तरह की बुराइयों और अहंकार भी जलकर खत्म हो जाता है। इस साल होलिका दहन 17 मार्च को किया जाएगा और होली 1 दिन बाद अर्थात 18 मार्च को खेली जाएगी। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती हैं। इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 09:03 मिनट से 10:13 मिनट तक रहेगा।

 होली की कहानियां 

होली के त्यौहार से जुड़ी अनेक कहानियां प्रसिद्ध है लेकिन इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी प्रहलाद की  मानी जाती है। कहां जाता है प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक नास्तिक असुर था। उसने अपने राज्य में भगवान का नाम लेना और उसकी पूजा करने पर पाबंदी लगा दी थी। उसका एक पुत्र भी था जिसका नाम प्रहलाद था। प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति करता था।


हिरण्यकश्यप को प्रहलाद की भक्ति करना पसंद नहीं था। उसने काफी प्रयास किए लेकिन प्रहलाद की भक्ति को भंग नहीं कर पाया। फिर एक बार उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली और होलिका की गोद में प्रहलाद को बैठाकर दोनों को जलती हुई चिता पर बैठा दिया। प्रहलाद आग में भी अपने भगवान विष्णु का जाप करते रहे। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। कुछ समय बाद होलिका आग में जलकर मर गई लेकिन प्रह्लाद फिर भी सुरक्षित बाहर निकले। प्रहलाद की इस भक्ति को देखकर लोगों ने इस घटना को होली के रूप में मनाना शुरू कर दिया। लोगों का मानना है कि होलिका दहन में बुराई और अहंकार भी जलकर खत्म हो जाते हैं और लोगों के बीच आनंद और उत्साह का जन्म होता है।





Special Words -

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Pradeep Kushwah

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