New Romantic & Hindi Love Story - नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आप सभी का आज की नई और मजेदार कहानी में। आज की इस कहानी का नाम है - " तू मेरा हमसफ़र " । यह एक Hindi Love Story है। जिसे पढ़कर आपको खूब मजा आने वाला है।
इस कहानी को हम 13 - भागों में पूरा करेंगे। कहानी को पूरा पढ़ने में हम आपकी मदद करेंगे। यह इस कहानी का ( भाग - 9 ) है।
New Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi | Best New Love Story in Hindi
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अनुज रागिनी को लेकर रामलाल के घर जाता है अब आगे....
तू मेरा हमसफ़र - भाग (9)
रामलाल की मां उसकी आवाज सुनकर बाहर आती है। वह भी दोनों को देख कर हैरान हो जाती है। रामलाल की मां उनके लिए चाय बना कर लाती है। अनुज और रागिनी एक दूसरे की तरफ देख रहे हैं कि कौन बात शुरू करें।
अनुज - रामलाल, हमें आप सब से एक बात करनी थी इसीलिए हम यहां आए हैं।
रामलाल - जी सर, बोलिए आप।
अनुज - तुम्हारी पत्नी ?? हम आप सब से बात करना चाहते हैं। तुम प्लीज हमें अपनी वाइफ के पास ले चलो। हम वहीं बैठ कर बात करेंगे।
रामलाल टेंशन में है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि अनुज ऐसी बात क्या करना चाहता है। वे सभी उस रूम में जाते हैं जहां उसकी पत्नी और बेटी को रखा हुआ है।
रामलाल अपनी पत्नी से उनका परिचय करवाता है। रागिनी उसकी पत्नी को पूछती है कि क्या वह बच्ची को उठा सकती है ? उसकी स्वीकृति मिलने पर वह बच्ची को गोद में ले लेती है।
रागिनी उसके साथ खेलने में इतनी व्यस्त हो गई कि उसे ध्यान ही नहीं रहा वो क्यों आए हैं। जब अनुज देखता है कि रागिनी सबसे बेखबर बच्ची के साथ खेलने में बिजी है तो वह खुद ही बात शुरू करता है।
अनुज - actually बात यह है कि हम आपकी बेटी को गोद लेना चाहते हैं।
रामलाल - गोद ??? (मानो उसे करंट लग गया हो)
रामलाल की पत्नी - नहीं, नहीं साहब... आप इतने बड़े लोग हैं, आप क्यों हमारी बच्ची हमसे छीना चाहते हो ? मैं अपनी बच्ची किसी भी कीमत पर किसी को नहीं दे सकती।
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वह रागिनी की गोद से बच्ची ले लेती है। रामलाल हाथ जोड़कर खड़ा है।
रामलाल - नहीं सर, हमें माफ कर दो। पर हम अपनी बच्ची को नहीं दे सकते।
अनुज - नहीं, नहीं ! आप हमें गलत समझ रहे हो। हम आपकी बच्ची को आपसे लेने नहीं आए हैं। हम इस नन्ही सी जान को अपने माता-पिता से कैसे अलग कर सकते हैं ?
रामलाल (हैरान होते हुए) - फिर ???
अनुज - गोद लेने से मेरा मतलब है कि हम उसके पालन-पोषण की, पढ़ाई लिखाई की और शादी की सारी जिम्मेदारी लेंगे पर वह रहेगी आपके साथ ही। हम एक बच्ची को उसके मां-बाप से कभी अलग नहीं कर सकते।
यह सब सुनकर रामलाल, उसकी पत्नी और मां बहुत खुश हो जाते हैं। रामलाल की मां का कहना है कि हर बच्चा अपना भाग्य साथ लेकर पैदा होता है।
यह बच्ची भी अपनी किस्मत लिखवा कर लाई है। तभी तो गरीब घर में जन्म लेने के बाद भी उसकी जिम्मेदारी इतने अच्छे लोगों को मिल रही है।
अब सब लोग बहुत खुश हैं। अनुज और रागिनी वापस जाने लगते हैं, तभी दरवाजे तक पहुंच कर रागिनी वापस आती है।
रागिनी - (रामलाल की पत्नी से) अगर आपको ऐतराज ना हो तो हम कभी-कभी इस गुड़िया को मिलने आ सकते हैं ना ??
उसकी पत्नी के बोलने से पहले ही रामलाल जवाब दे देता है।
रामलाल - मैडम कैसी बात कर रही हैं आप..?? आप हमारी बच्ची के लिए इतना कुछ कर रहे हैं। आप जब मर्जी आ सकती हैं और इससे मिल भी सकते हैं। हमें कोई एतराज नहीं है।
रागिनी मुस्कुराकर बच्ची को गोद में लेकर उसके माथे पर किस करती है। फिर उसे रामलाल की पत्नी को सौंप देती है और दोनों घर वापस आ जाते हैं।
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दोनों घर पहुंचते हैं तो रागिनी के जेठ जेठानी भी आ गए होते हैं। रागिनी का जेट एक झगड़ालू किस्म का आदमी है। जो मूड अच्छा हो तो सही रहता पर जब गुस्से में होता तो लड़ाई झगड़े पर उतारू हो जाता।
इसलिए कभी अनुज की अपने भाई से बनी नहीं। अनुज अपने रूम में चला जाता है। रागिनी अपनी जेठानी के पास जाती है, यह पूछने कि डॉक्टर ने क्या कहा ? उसकी जेठानी का सातवां महीना है। डॉक्टर ने उसे अब bed rest बोला है।
नेहा (रागिनी की जेठानी) - रागिनी जैसे - जैसे मेरी डिलीवरी का टाइम पास आ रहा है, मुझे बहुत डर लगता है। कहीं मां जी कुछ....
रागिनी - don't worry दी, बहुत लेट हो चुका है... अब मां जी कुछ नहीं कर सकते।
नेहा - पर रागिनी... अगर लड़का हो गया फिर तो मां जी खुश हो जाएंगे पर अगर लड़की होगी तो... कहीं वो मुझे घर से ना निकाल दे।
रागिनी - क्यों, क्यों निकाल देंगे ? मुझे बस इतनी बात का जवाब दो, लड़का या लड़की पैदा करना आपके हाथ में है क्या ?? अगर है तो कर दो फिर उनको लड़का ही पैदा।
नेहा - पर रागिनी...
रागिनी - (नेहा का हाथ पकड़ते हुए) पर वर छोड़ो दीदी, आप बस अपना ध्यान रखो। मैं हूं ना इधर... भरोसा रखो मुझ पर।
नेहा - एक तुम ही तो हो इस घर में... जिस पर मैं आंख बंद करके भी भरोसा कर सकती हूं। वरना भरोसा तो मुझे अपने पति पर भी नहीं है। कब अपनी मां की बात में आकर वह क्या कर बैठे कुछ भी पता नहीं।
रागिनी - बस चुप एकदम चुप... अब चलो आप आराम करो तब तक मैं डिनर की तैयारी करती हूं।
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नेहा से बात करके वह किचन में आकर खाना बनाती है। आज का दिन उसकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी बेरंग जिंदगी में भी रंग आ जाएंगे।
रात के खाने के बाद वह रूम में जाती है। आज उसे सब नया नया सा लग रहा है, जैसे आज ही उसकी शादी हुई हो।
वह देखती है कि अनुज लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा है। कपड़े चेंज करके वह भी उसके पास जाकर बैठ जाती है। उसे देख कर अनुज लैपटॉप साइड कर देता है।
आज पहली बार अनुज को इतनी अजीब फीलिंग आ रही है जो आज तक कभी फील नहीं हुआ। वो सब वह आज रागिनी के लिए फील कर रहा है। वह रागिनी की दोनों हाथ अपने हाथ में लेता है...
अनुज - रागिनी प्लीज मुझे माफ कर दो।
रागिनी - अनुज, आप अभी तक वही सब सोच रहे हैं। बस करो अब। आप बदल गए हो... मेरे लिए यही बहुत बड़ी बात है।
अनुज - रागिनी एक बात बोलूं ?
रागिनी - हम्म बोलिए...
अनुज - actually ना यार, मैं...
रागिनी - मैं क्या ??
अनुज - मैं वो, मतलब मैं ना, वह मुझे कल जल्दी ऑफिस जाना है। तुम प्लीज जल्दी उठा देना।
रागिनी - इतनी सी बात बोलने के लिए आप इतना क्या सोच रहे थे। पहले भी तो जल्दी जाते थे, आप।
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अनुज - पर पहले की बात अलग थी अब तो...
रागिनी - अब तो क्या ?? आप भी ना आधी अधूरी बात करते हो। चलो सो जाओ फिर... मुझे भी नींद आ रही है।
अनुज - हम्म !
अनुज रागिनी को कहना तो बहुत कुछ चाहता था पर पुरानी बातें अब भी उसे बार-बार उसकी गलती का एहसास करवा रही थी। वह चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रहा कि कैसे वह रागिनी के साथ इतना बुरा बर्ताव करता था।
अजनबीयों की तरह व्यवहार करता था। कितना दुखी किया है उसने रागिनी को। यह सब सोचते सोचते उसे कब नींद आ गई उसे पता भी नहीं चला।
अगली सुबह रितिक की मां और पापा कुछ दिनों के लिए अपने गांव, रामपुर जा रहे हैं क्योंकि वहांरितिक के बड़े पापा और बड़ी मां अपने बच्चों के साथ रहते हैं।
बड़े पापा की तबीयत खराब होने के कारण उसके मां-पापा उन्हें मिलने जा रहे हैं। पर बैंक में जरूरी काम होने के कारण अभी रितिक का जाना मुमकिन नहीं था इसलिए वह और गरिमा बाद में जाएंगे।
उनके जाने के बाद रितिक भी office चला गया। आज गरिमा का अकेले घर में दिल भी नहीं लग रहा क्योंकि उसे आदत है हमेशा अपनी सास के साथ बातें करते रहने की। और अनुसूया गरिमा के बिना अब कहीं नहीं जाती। किसी रिश्तेदार के घर भी नहीं, पर आज उसे जाना पड़ा।
खैर गरिमा ने उनके आने तक आज टीवी देख कर गुजारा करने की सोची। तभी उसके फोन की घंटी बजी। देखा तो कोई unknown नंबर था। जब तक वह फोन उठाती, फोन बंद हो चुका था। थोड़ी देर बाद फिर फोन बजा।
हेलो कौन ???
आपकी शुभचिंतक !
ओह ! बात यह है कि मेरे बहुत से शुभ चिंतक हैं। तो मैंने आपको पहचाना नहीं, क्या आप अपना नाम बताने का कष्ट करेंगे (गरिमा ने थोड़ी तेज आवाज में बोला)।
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बहुत तेज हो तुम... इतनी ही तेज बनती हो तो पति को संभाल के रखती जिसका बाहर अफेयर चल रहा है (उधर से किसी लड़की की आवाज थी)।
हाहाहा, वैरी फनी। रोंग नम्बर।
गरिमा ने फोन काट दिया। उसे हंसी भी बहुत आ रही थी और गुस्सा भी... ऐसा भद्दा मजाक किसने किया ? पक्का रितिक की कोई फ्रेंड होगी, गरिमा ने सोचा और फिर टीवी देखने लगी।
इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है कॉल किसने किया था और क्या वाकई में रितिक का किसी और के साथ अफेयर था, जानने के लिए इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।
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Special Words :
उम्मीद करता हूं , दोस्तो ! आपको आज की यह Love Story ( तू मेरा हमसफ़र ) काफी पसंद आयी होगी। पसंद आयी हो तो नीचे comment में हमें जरूर बताएं। यह इस कहानी का आठवां भाग है। अगर आप इस कहानी का अगला भाग भी पढ़ना चाहते हैं तो Comment जरूर करें।
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