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रिश्ता प्यार का - Hindi Love Story

रिश्ता प्यार का - Hindi Love Story
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Feb 20, 2022

New Majedaar & Hindi Love Story - नमस्कार दोस्तो , स्वागत है आप सभी का आज की इस नई और मजेदार कहानी में। आज की इस कहानी का नाम है - "  रिश्ता प्यार का  "। यह एक Hindi Love Story है , जिसे पढ़कर आपको खूब मज़ा आने वाला है।

इस कहानी को हम 14 - भागों में पूरा करेंगे। कहानी को पूरा पढ़ने में हम आपकी मदद करेंगे। यह इस कहानी का ( भाग - 1 ) है।


 रिश्ता प्यार का - भाग (1) 

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आज जब निशा कॉलेज से अपने घर स्कूटी से लौट रही होती है तो उसे मोहल्ले में हलचल दिखाई देती है। वह देखती है कि किसी का सामान उतर रहा है। उसे लगता है कि पड़ोस वाले शुक्ला अंकल के यहां कोई किरायेदार आया है। 


वो अपने घर के पास आती है तो गेट पर अपनी मम्मी और बाकी की सभी आंटियों को खड़ा पाती है। मम्मी से इशारे में पूछती है कि क्या चल रहा है ? तो मम्मी जो बताती हैं उससे उसका अनुमान सही साबित होता है। 


कुछ देर बाद मम्मी आती है और बताती है, कोई निकेश मेहरा है; जो बैंक में ऊंचे पद पर कार्यरत हैं और साथ ही उनकी बीवी भी सरकारी स्कूल में शिक्षिका है। उनका एक बेटा और एक बेटी भी है जो पहले से यहां किसी हॉस्टल में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहीहै। शायद उनकी बेटी को तो तू जानती होगी क्योंकि वह भी तेरे ही कॉलेज में पढ़ती है।


निशा -  नाम क्या है ?

 

मम्मी -  वह तो नहीं पता।


निशा -  (कंधे उचकाते हुए) हां शायद, देखूं तो पहचान जाऊं।


शाम को निशा की मम्मी कुछ स्पेशल बनाकर अपने नये पड़ोसी मेहरा जी के यहां ले कर गईं। डोरबेल बजी , टिंग टोंग - टिंग टोंग ! मिसेज मेहरा ने दरवाजा खोला।


निशा की मम्मी - नमस्ते जी ! मैं मिसेज वर्मा। आपके पड़ोस में रहती हूं। सोचा आप लोग शिफ्टिंग कर रहे हैं तो खाना ले चलूं। 


मिसेज मेहरा - ओह ! अंदर आइए ना , प्लीज़।

निशा की मम्मी अंदर जाती है। बड़ी ही खूबसूरती से घर को सजाया है आपने। घर को निहारते हुए निशा की मम्मी बोलती है।


मिसेज मेहरा - (हँसते हुए) थैंक यू। वो मिस्टर मेहरा से उनका परिचय करवाती है।

काफी मिलनसार लोग हैं। पैसे का तो रत्ती भर भी घमंड नहीं है। मिसेज वर्मा मन ही मन सोचती है। थोड़ी देर औपचारिक बात होने के बाद मिसेज वर्मा घर वापस लौट आती है। घर लौटकर वह खाने की टेबल पर उनके परिवार की तारीफ करती है।

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3 से 4 दिन बाद निशा अपने ही कॉलेज की जूनियर कीर्ती को देखती है। निशा जब कॉलेज जाने के लिए अपनी स्कूटी को स्टार्ट कर रही होती है तब कीर्ती उसके पास आती है।

कीर्ती - हाय दीदी !

निशा - हाय !!

कीर्ती - आपने शायद नहीं पहचाना मुझे। मैं कीर्ती (अपना परिचय देते हुए हाथ आगे बढ़ाती है) आपसे एक साल जूनियर हूं।


निशा -  (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए) हां ! चेहरे से पहचानती थी लेकिन नाम नहीं पता था मुझे तुम्हारा। कहां जा रही हो ? कॉलेज।

कीर्ती - हां दीदी , कॉलेज ही जा रही थी।


निशा - आओ बैठो ! (अपनी स्कूटी की ओर इशारा करते हुए) मैं भी कॉलेज ही जा रही थी।


कीर्ती बैठ जाती है। दोनों रास्ते भर खूब बातचीत करते हुए जाते हैं। अब तो रोज का उनका यही नियम था। दोनों का आना और जाना साथ ही होता था। दोनों अब काफी अच्छे दोस्त बन गए थे। 


उधर उनके परिवार में भी काफी मेल जोल बढ़ गया था। कीर्ती के मम्मी - पापा जॉब करते थे , तो कीर्ति दिनभर निशा के साथ ही रहती थी। निशा का एक भाई भी था , साहिल। वह दोनों से छोटा था। इस समय वह नवीं क्लास में था। जब निशा व्यस्त होती थी तो कीर्ती उसकी मदद करती थी। 


लेकिन दोनों मिलकर साहिल की टांग खींचते थे। कीर्ती कभी-कभी अपने भैया के बारे में बता दी थी कि उसका भैया , मानव बहुत सख्त है। वह गलत बात बर्दाश्त नहीं कर सकते चाहे फिर सामने कोई भी हो। 


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कराटे चैंपियन मानव का साहिल बिना मुलाकात हुए ही फैन बन गया। कीर्ती ने बताया कि भैया का फाइनल ईयर है, इंजीनियरिंग का। इसलिए वह इस साल अपने दोस्तों के साथ हॉस्टल में ही रहना चाहते हैं। कॉलेज पूरा होने के बाद ही वे घर आयेंगे। 


आज कीर्ती के मम्मी - पापा किसी रिश्तेदार की शादी में देल्ही से बाहर गए हैं। कीर्ती की इंपोर्टेंट क्लास चल रही होती है, इसीलिए वह शादी में नहीं जाती। वह निशा के घर खाना खा कर उसे अपने घर सोने के लिए ले आती है। वहां कुछ देर वे दोनों पढ़ाई करती हैं और फिर मूवी देखती हैं। 


कीर्ती टीवी देखते - देखते सो जाती है। निशा टीवी बंद करती है। उसे बहुत जोर की प्यास लगती है इसलिए वह किचन में जाती है। जब फ्रिज में से पानी की बोतल निकाल रही होती है तो उसे ऐसा महसूस होता है कि हॉल में कोई है ?


वह आगे जाकर देखती है तो उसे कोई नजर नहीं आता। वह पानी की बोतल लेकर कीर्ती के कमरे की ओर बढ़ने लगती है तो पीछे से कोई उसका मुंह दबा लेता है। वो काफी हड़बड़ा जाती है। उसे कुछ समझ नहीं आता। तभी वह पानी की बोतल को उस इंसान के टांगों के बीच जोर से मारती है, उसकी चीख निकल जाती है। 🥵


आवाज सुनकर कीर्ती हड़बड़ा कर उठती है और निशा की ओर भागती है। निशा टेबल पर रखे वॉच से उसे मारने की कोशिश करती है , लेकिन उससे पहले कीर्ती झट से लाइट ऑन कर देती है।


कीर्ती - मानव भैया ! 😧😧

निशा - क्या ???


मानव - हां यार ! तुझे डराने आया था। सोचा मम्मी पापा नहीं नहीं हैं तो तुझे डराता हूं। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरा ही बैंड बज जाएगा। (निशा की ओर इशारा करते हुए) यह झांसी की रानी कौन है ?


कीर्ती - भैया , ये निशा दीदी है।

मानव - अच्छा ,  तो यह है निशा जिसकी तू और मम्मी हमेशा बात करती रहती है। निशा तो तुम भी कराटे चैंपियन हो (निशा की ओर देखते हुए मानव बोलता है)


निशा - नहीं, नहीं ! वो... सॉरी 😌। वो मुझे लगा कि कोई चोर है तो। सॉरी ... 🥴

कीर्ती - (हंसते हुए) भैया ! अगर ऐसी हरकत करोगे तो यही होगा ना।


मानव - हम्म ! चल कोई नहीं अब तू गरमागरम कॉफी बना दे।

निशा - तुम रुको कीर्ती। मैं कॉफी बनाकर लाती हूं और निशा किचन में चली जाती है।

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थोड़ी देर बाद निशा कॉफी के साथ कुछ स्नैक्स भी ले आती है। तीनों बैठकर बातचीत करते हुए कॉफी पीते हैं। रात काफी हो चुकी होती है इसीलिए निशा अपने घर नहीं जाती। कीर्ती मानव का रूम सेट करके निशा के पास सोने के लिए चली जाती है।


सुबह निशा की मां मानव और कीर्ती को अपने घर नाश्ते पर बुलाती है। नाश्ता होने के बाद निशा और कीर्ती कॉलेज के लिए निकलते हैं। तभी मानव कीर्ती को अपने साथ कॉलेज चलने के लिए बोलता है। कीर्ती निशा से बोलकर मानव के साथ कॉलेज चली जाती है।


कीर्ती - भैया ! वैसे आज स्पेशल क्या है जो आप मुझे कॉलेज ड्रॉप करने के लिए खुद जा रहे हो ?

मानव - इसमें स्पेशल क्या है ? मैंने सोचा तुम्हारे कॉलेज में तुम्हारे फ्रेंड्स की संख्या बढ़ा दूं। 

कीर्ती - मतलब ???


मानव - (हँसते हुए) अब कॉलेज की सारी लड़कियां देखेंगी कि तुम्हारा भाई इतना स्मार्ट है , तो वह तुमसे दोस्ती जरूर करना चाहेंगी। दोनों इसी तरह हंसते और बातचीत करते हुए कॉलेज पहुंचते हैं।


जब मानव कॉलेज से वापस लौट रहा होता है तो उसे निशा स्कूटी से उतरती हुई दिखती है। वह उसे देखकर मुस्कुराता है और बदले में वह भी मुस्करा देती है। शाम को मानव कीर्ती से बाहर खाने के लिए पूछता है।


कीर्ती - भैया ! निशा दीदी और साहिल भी चले तो।

मानव - Ok ! सब लोग साथ होंगे तो और भी मजा आएगा।


कीर्ति निशा के घर जाकर निशा और साहिल को बाहर ले जाने के लिए आंटी जी से परमिशन लेती है। दोनों लोग तैयार होकर कीर्ती के साथ चले जाते हैं। साहिल और मानव गेम खेलते हैं, निशा और कीर्ती अपनी थोड़ी बहुत शॉपिंग करती हैं और उसके बाद वे चारों डिनर के लिए जाते हैं। 


साहिल - भैया ! आप तो बहुत कूल है , पर ...( कीर्ती की और देखता है और वह उसे चुप रहने के लिए बोलती है)।

मानव - पर ! पर ... क्या ?

कीर्ती -  वो कुछ नहीं भैया। यह तो कुछ भी बोलता है और साहिल को आंख दिखाने लगती है।


मानव - क्या बोल रहा था साहिल ? तू बोल । तुझे किसी से डरने की जरूरत नहीं है।

साहिल - वो कीर्ती दीदी बोल रही थी कि आप बहुत खड़ूस हो और कहकर हंसने लगता है।


मानव - अच्छा तो मैं खडूस हूं। वह मुंह बनाता है, तो ठीक है आज के इस डिनर का बिल तू ही Pay करेगी। यह सुनकर सभी हंसने लगते हैं। डिनर के बाद सब लोग घर लौटते हैं , मानव और साहिल कार में फ्रंट सीट पर और निशा व कीर्ती बैक सीट पर बैठे हैं। 


मानव मिरर में निशा को देखकर कीर्ती से पूछता है - कीर्ती , तुम्हारी यह झांसी की रानी कभी हंसती भी है या नहीं ? या फिर आज इसने इंजॉय नहीं किया ?


निशा मानव को मिरर में देखती है। मानव उसे देखकर मुस्कुराता है। सब लोग रात को लेट घर पहुंचते हैं। मानव निशा की मम्मी को लेट आने के लिए सॉरी बोलता है।


अगले दिन रविवार है। मानव बालकनी में चाय पी रहा होता है। आज उसने टी शर्ट और शॉर्ट्स पहने हैं। निशा वॉशरूम से फ्रेश होकर अपने गीले बालों को सुखाते हुए अपनी बालकनी पर आ जाती है। गीले बालों पर पड़ रही सूर्योदय की सुनहरी धूप उसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी। 


वह सामने बालकनी में मानव को देखती है जो उसे ही देख रहा होता है। निशा के देखते ही मानव उसे चाय का कप दिखाकर गुड मॉर्निंग बोलता है। बदले में निशा अपने गीले बालों को नीचे करते हुए उसके गुड मॉर्निंग का जवाब देती है।


कल कीर्ती के मम्मी पापा आने वाले हैं। कीर्ती निशा के घर जाती है और आंटी जी से बोलती है - कि 4 दिन बाद उसके मम्मी पापा की एनिवर्सरी है और इसके लिए मुझे आप सबकी मदद चाहिए। 


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कीर्ती बोलती है कि मम्मी के लिए एक अच्छी सी साड़ी और ज्वेलरी लेनी है और पापा के लिए एक अच्छा सा सूट। निशा की मम्मी जाने से मना कर देती है क्योंकि उनके घर आज उनके दूर के रिश्तेदार आने वाले होते हैं ; लेकिन वह निशा को उनके साथ जाने के लिए बोलती है।


निशा तैयार हो रही होती है और इधर मानव कार में उन दोनों का इंतजार कर रहा होता है। वह कीर्ती से जल्दी आने के लिए बोलता है और समय-समय पर हॉर्न बजाता रहता है। थोड़ी देर बाद निशा और कीर्ती बाहर निकलते हैं। 


मानव उनके इंतजार में हॉर्न बजाता है। जैसे ही मानव निशा को देखता है वह हॉर्न से हाथ उठाना भूल जाता है क्योंकि वह निशा की खूबसूरती में खो जाता है। कीर्ती और निशा आकर गाड़ी में बैठ जाते हैं लेकिन मानव फिर भी हॉर्न ही बजा रहा होता है। ये देखकर कीर्ती उसे झकझोर कर बोलती है कि हम तो आ चुके हैं , अब किसके लिए हॉर्न बजा रहे हो। 


मानव हड़बड़ाकर अपने ख्वाबों में से बाहर आता है और हॉर्न से अपना हाथ उठाता है। यह सब देखकर निशा और कीर्ती जोर से हंसने लगते हैं। निशा कार में पीछे बैठी है। मानव मिरर को निशा की ओर करता है और अपनी नजरों से ही निशा के खूबसरत दिखने का कोंपलीमेंट देता है। (मिरर में देखकर) निशा शर्माती हुई अपने बालों को ठीक करने लगती है।


और इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि आगे इस कहानी में क्या हुआ तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।


 रिश्ता प्यार का - भाग (2) 



Special Words :

उम्मीद करता हूं , दोस्तो ! आपको आज की यह Love Story (रिश्ता प्यार का - Hindi Love Story) काफी पसंद आयी होगी। पसंद आयी हो तो नीचे comment में हमें जरूर बताएं। यह इस कहानी का पहला भाग है। अगर आप इस कहानी का अगला भाग भी पढ़ना चाहते हैं तो Comment जरूर करें।

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Pradeep Kushwah

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