New Romantic & Hindi Love Story - नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आप सभी का आज की नई और मजेदार कहानी में। आज की इस कहानी का नाम है - " तू मेरा हमसफ़र " । यह एक Hindi Love Story है। जिसे पढ़कर आपको खूब मजा आने वाला है।
इस कहानी को हम 13 - भागों में पूरा करेंगे। कहानी को पूरा पढ़ने में हम आपकी मदद करेंगे। यह इस कहानी का ( भाग - 6 ) है।
New Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi| New Best Love Story in Hindi
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि गरिमा ने अपनी बातों से अनुज को पूरी तरह से डरा दिया था। अब आगे...
तू मेरा हमसफ़र - भाग (6)
अनुज नीचे आकर कमरे में लेट जाता है। ठंड होने के बावजूद भी उसे पसीना आ रहा है। रागिनी भी थोड़ी देर बाद नीचे आ जाती है। अनुज कभी इधर तो कभी उधर करवटें बदल रहा है। उसे नींद नहीं आ रही है। रागिनी को समझ आ चुका था कि अनुज के मन में क्या चल रहा है ?
रागिनी - क्या बात है ? इतनी ठंड में भी आपको पसीना क्यों आ रहा है ?
अनुज - तुमसे कोई मतलब , मुझे क्या हो रहा है और क्या नहीं। चुप - चाप सो जाओ सुबह जल्दी निकलना है।
रागिनी - तुम्हें कभी प्यार से बात करना नहीं आता क्या ? जब देखो तब मुंह से आग ही उगलते रहते हो।
अनुज - तुम्हें नहीं लगता यहां आकर ज्यादा जुबान चलने लगी है , तुम्हारी।
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रागिनी - अभी तक चुप ही तो थी वरना...
अनुज - Just Shutup.
रागिनी करवट बदल कर सोने लगती है। अनुज भी करवट बदल लेता है लेकिन उसे नींद नहीं आती। वह सोने के लिए काफी कोशिश करता है लेकिन नींद उसकी आंखों से ओझल हो चुकी है। वह पूरी रात जागता रहता है। सुबह होते ही वह रागिनी को तैयार होने के लिए बोलता है। दोनों लोग जल्दी से तैयार होते हैं और निकलने की तैयारी करते हैं।
रागिनी जाते समय अपनी मां और भाभी के गले लगती है और फूट फूट कर रोती है। थोड़ी देर बाद रागिनी और अनुज घर के लिए निकल जाते हैं।
रागिनी के जाने के बाद गरिमा का किसी भी काम में मन नहीं लगता। वह हर पल रागिनी के बारे में सोच कर बेचैन रहती है। आज रितिक भी बिना बोले Office के लिए निकल जाता है। रागिनी के जाने के बाद घर में एकदम शांति छा जाती है। सच ही कहा जाता है कि बेटियां घर की रौनक होती हैं। बेटियां मां-बाप के कलेजे का टुकड़ा होती हैं। और शादी के बाद उन्हें यह कलेजे का टुकड़ा दूसरों को सौंपना पड़ता है। मां बाप की हमेशा यही दुआ रहती है की बेटी का हमसफर हमेशा उसे खुश रखे और जिंदगी में उसे हमेशा हिम्मत और खुशियां देता रहे। यही हमसफर जब जिंदगी में साथ छोड़ दे तो बेटियां कहां जाएं ?
इधर अनुज रागिनी को घर जाने के लिए बोल देता है और खुद Office के लिए निकल जाता है। अनुज सीधा केबिन में पहुंचता है और वहां जाकर फाइलें उलट-पुलट करने लगता है। लेकिन आज भी अनुज परेशान है। उसका मन किसी भी काम में नहीं लग रहा है। कल की बातें आज भी उसके दिमाग में दौड़ रही हैं, भ्रूण हत्या, पुलिस, अबॉर्शन और भी बहुत कुछ। वह अचानक से कुर्सी से खड़ा होता है।
तभी दरवाजे पर कोई दस्तक देता है। May i come in sir ? ( यह Office के चपरासी रामलाल की आवाज थी)
अनुज - Come in.
रामलाल - साहब ! आपके लिए मिठाई लेकर आया हूं। बाकी स्टाफ के लिए मैं दूसरा मिठाई का डिब्बा लेकर आया हूं। यह मिठाई केवल आपके लिए है।
अनुज मिठाई का एक छोटा सा टुकड़ा अपने मुंह में डालता है और रामलाल से पूछता है कि आखिर यह मिठाई किस खुशी में बांटी जा रही है ?
रामलाल - (शर्माते हुए) सर ! वो मैं पापा बन गया हूं। मेरी पत्नी ने कल एक बेटी को जन्म दिया है। मैं बहुत खुश हूं। इसी खुशी में मैं आपके लिए यह मिठाई लेकर आया हूं। सर, आज मैं हाफ डे की छुट्टी पर हूं। आज मेरी पत्नी की छुट्टी हो जाएगी, अस्पताल से। इसलिए मैं सीधा उसे अस्पताल से लेने जाऊंगा।
अनुज - क्या ??? तुम्हारे घर बेटी हुई है और फिर भी तुम मिठाई बांट रहे हो।
रामलाल - क्या मतलब सर, मैं समझा नहीं। सर आज तो मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मेरे घर में लक्ष्मी आई है। एकदम गुड़िया है, पूरी मुझ पर गई है।
अनुज - (कुछ सोचते हुए) लक्ष्मी....
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रामलाल - क्या बात है सर ? आपने मुझे अभी तक बधाई नहीं दी।
अनुज - अरे कोई बात नहीं। बधाई हो तुम्हें भी और तुम्हारी पत्नी को भी। आज तुम्हें ऑफिस नहीं आना था। इस वक्त तो तुम्हें अपनी पत्नी के साथ अस्पताल में होना चाहिए।
रामलाल - नहीं सर , घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मेरी मां है ना वहां पर वो अपनी बहू और पोती को अच्छे से संभाल लेगी।
अनुज - वैसे एक बात बोलूं रामलाल। तुम्हारी मां बहुत खुश होती अगर वह एक पोती की दादी बनती।
रामलाल - अरे सर , मेरी मां तो मुझसे भी ज्यादा खुश हैं। उन्होंने ही तो मोहल्ले और दफ्तर में मिठाइयां बांटने को कहा था। और आपके लिए तो अलग से एक मिठाई का डिब्बा लाने के लिए भी मां ने ही कहा था।
अनुज - अच्छा ठीक है।
रामलाल - सर , मैं अपनी बेटी को खूब पढ़ाऊंगा। किसी भी चीज की कमी नहीं आने दूंगा, उसे। आज से मैं खूब मेहनत करूंगा और उसके हर सपने को पूरा करूंगा।
अनुज - अच्छा ठीक है , अब तुम अपनी पत्नी और बच्ची के पास जाओ। उन्हें तुम्हारी जरूरत है।
रामलाल - जी सर , धन्यवाद !
अनुज - अच्छा रुको रामलाल, (वह अपने पर्स से कुछ पैसे निकालता है और रामलाल को देता है) इसे रखो। और जाते समय रास्ते से अपनी बेटी के लिए कुछ खरीद लेना।
रामलाल - पर सर ...
अनुज - पर वर कुछ नहीं। शरमाओ नहीं... रखो इसे।
रामलाल पैसे ले कर चला जाता है। अनुज टेबल पर रखे मिठाई के डिब्बे को देख रहा है। वह उसमें से एक और मिठाई का टुकड़ा उठाकर मुंह में डाल लेता है। आज उसे ऐसा लग रहा है कि उसकी गाल पर किसी ने जोरदार तमाचा मारा हो। रामलाल की कही हुई बातें उसके कानों में गूंज रही हैं। मेरी बेटी लक्ष्मी है, वह पूरी मुझ पर गई है, मैं अपनी बेटी को खूब पढ़ाऊंगा और उसके लिए खूब मेहनत करूंगा।
रामलाल की यह बातें उसे और भी ज्यादा बेचैन करने लगी हैं। उसका मन कर रहा है कि वह भी रामलाल के पीछे जाए और उसकी बेटी को देखें कि क्या वह रामलाल पर गई है और क्या वह लक्ष्मी है ? यह सोचते सोचते वह अचानक से अपनी केबिन से बाहर निकलता है और रामलाल के पीछे-पीछे चला जाता है। ऑफिस के सभी लोग आज हैरान हैं कि सर आज इतना जल्दी क्यों चले गए जबकि वे तो सबसे बाद में जाते थे ?
अनुज नीचे पार्किंग में पहुंच जाता है। वह इधर-उधर रामलाल को ढूंढने लगता है और एक जोर की आवाज लगाता है। रामलाल आवाज सुनकर रुक जाता है। अनुज गाड़ी लेकर रामलाल के पास जाकर रोक देता है।
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अनुज - तुम्हारी बीवी किस Hospital में है ?
रामलाल - सर वो सिटी हॉस्पिटल में।
अनुज - बैठो गाड़ी में।
रामलाल - पर सर... मैं हॉस्पिटल जा रहा हूं।
अनुज - पता है मुझे, चलो मैं तुम्हें अस्पताल छोड़ दूंगा।
रामलाल - पर सर आप... छोड़िए सर मैं चला जाऊंगा।
अनुज - ( थोड़ा जोर से) लगता है तुम्हें सुनाई नहीं दिया, मैंने कहा गाड़ी में बैठो।
रामलाल गाड़ी में बैठ जाता है। अनुज अंदर से बहुत बेचैन है इसलिए उसे पता नहीं कि वह क्या कर रहा है ? दोनों लोग रास्ते में चुपचाप रहते हैं। अनुज अस्पताल पहुंचने के बाद गाड़ी रोक देता है।
और इसी के साथ कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि अनुज आखिर क्यों रामलाल के साथ हॉस्पिटल आया था ? और वह रामलाल की बेटी को क्यों देखना चाहता था ? तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें
Special Words :
उम्मीद करता हूं , दोस्तो ! आपको आज की यह Love Story ( तू मेरा हमसफ़र ) काफी पसंद आयी होगी। पसंद आयी हो तो नीचे comment में हमें जरूर बताएं। यह इस कहानी का छठवां भाग है। अगर आप इस कहानी का अगला भाग भी पढ़ना चाहते हैं तो Comment जरूर करें।
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