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तू मेरा हमसफ़र - भाग (7) : Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi 2022

तू मेरा हमसफ़र - भाग (7) : Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi 2022
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Mar 28, 2022

New Romantic & Hindi Love Story - नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आप सभी का आज की नई और मजेदार कहानी में। आज की इस कहानी का नाम है - " तू मेरा हमसफ़र " । यह एक Hindi Love Story है। जिसे पढ़कर आपको खूब मजा आने वाला है।

इस कहानी को हम 13 - भागों में पूरा करेंगे। कहानी को पूरा पढ़ने में हम आपकी मदद करेंगे। यह इस कहानी का ( भाग - 7 ) है।

तू मेरा हमसफ़र - भाग (7) : Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi 2022

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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अनुज चपरासी रामलाल के साथ उसकी बेटी को देखने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा है। अब आगे...


 तू मेरा हमसफ़र - भाग (7) 

अनुज पार्किंग में गाड़ी को लाकर रोक देता है। रामलाल गाड़ी से उतरने लगता है।

रामलाल - थैंक यू सर ! मेरी वजह से आप यहां तक आए।

अनुज - यहां तक आने का क्या मतलब ? मैं तो हॉस्पिटल के अंदर भी आऊंगा, तुम्हारी बेटी को देखने।

रामलाल - (हैरानी से देखते हुए) क्या सर, आप मेरी बेटी को भी देखने चलेंगे ?

अनुज - क्यों... नहीं जा सकता क्या ? अगर तुम्हें कोई एतराज है तो नहीं जाता फिर...।

रामलाल - नहीं नहीं सर, यह तो मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी की बात है कि आप यहां तक मेरी बेटी को देखने के लिए आए। आइए सर...।

अनुज - ok, चलो।

वे दोनों कार से निकलकर हॉस्पिटल में अंदर जाते हैं। अनुज के दिल में अजीब सी घबराहट होने लगती है। वह तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है और रामलाल उसके कदमों के साथ चलने की कोशिश कर रहा है। अचानक रामलाल एक कमरे के बाहर आकर रुक जाता है। वहां एक औरत इधर-उधर चक्कर लगा रही है। वह रामलाल की मां है।

रामलाल अपनी मां को बताता है कि उसके सर भी गुड़िया को देखने के लिए आए हैं। रामलाल की मां यह जानकर बहुत खुश होती है। अनुज रामलाल की मां को बिटिया को बाहर लाने के लिए बोलता है। रामलाल की मां तेज कदमों से अंदर जाती है और सो रही गुड़िया को गोद में उठाकर बाहर लाती है।


अनुज जो बच्ची को देखने के लिए बहुत ही बेताब है, अपने हाथ आगे करता है। रामलाल की मां बच्ची को अनुज के गोद में छोड़ देती है। अनुज जो बहुत ही बेचैन है, बच्ची को अपने दोनों हाथों में संभालने लगता है। उसे बहुत डर लग रहा है कि कहीं बच्चे उसके हाथों से निकल ना जाए। वह लगातार बच्ची की ओर देखता रहता है। उसकी आंखें बंद है। उसके छोटे-छोटे कोमल हाथ अनुज को काफी खुशी दे रहे थे।

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अनुज एक हाथ से बच्ची की हाथ को पकड़ने की कोशिश करता है तो बच्ची अपने हाथ से उसकी उंगली को पकड़ लेती है। बच्चे की पकड़ बहुत ही मजबूत होती है जैसे मानो उसने कोई खिलौना पकड़ा हो। अनुज का दिल कर रहा है कि बस वह उसे देखता ही रहे।

अनुज - (रामलाल की मां से) आंटी जी, यह आंखें कब खुलेगी ? इतना सोती है क्या ?

रामलाल की मां - बेटा, बच्चे ज्यादा ही सोते हैं। यह भी सुबह से लेकर शाम तक सोती रहती है और फिर रात को जागती रहती है।

अनुज - पर मैं तो इसकी आंखें ही देख कर जाऊंगा, आज।

रामलाल - सर मैं तो आपका यह रूप पहली बार देख रहा हूं। आज मुझे पता चला कि आप बच्चों से कितना प्यार करते हैं।

अनुज - (बच्ची से खेलते हुए) मुझे भी...।

रामलाल - क्या मतलब सर... ?

अनुज - कुछ नहीं ।

इतने में बच्ची की नींद खुल जाती है और वह धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलती है। यह देखकर अनुज जी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ऐसा लग रहा था मानो उसे कुछ खोया हुआ वापस मिलने वाला हो।

अनुज - यह तो सच में कितनी प्यारी है। सच कहा था तुमने, यह तो बिल्कुल अपने पापा पर गई है।

रामलाल - हां जी सर, यह बिल्कुल मेरे पे ही गई है। देखना सर, आपकी बेटी भी आप पर ही जायेगी।


अनुज - मेरी बेटी... मेरी जैसी। (कुछ सोचते हुए) हां हां वो बिल्कलमेरे जैसी ही होगी।

अनुज इतना खुश है कि मानो वो उसी की बेटी हो। बच्ची ने उसकी उंगली अभी भी पकड़ी हुई है। वह अपनी छोटी-छोटी आंखों से उसे देख रही है। अनुज भी उसके साथ खेल रहा है। रामलाल और उसकी मां दोनों को हैरानी से देख रहे हैं और मन ही मन खुश हो रहे हैं।

अचानक अनुज का फोन बजता है। वह बच्ची को रामलाल को पकड़ आता है और फोन उठाता है। फोन रागिनी का था। वह उसे बताता है कि वह अभी हॉस्पिटल में है और थोड़ी देर बाद घर पहुंच जाएगा।

रागिनी आज बहुत हैरान है क्योंकि काफी दिनों बाद अनुज ने उससे इतने प्यार से बात की है। आज उसकी बातों में कोई रूखापन जैसा नहीं है। वह दिल ही दिल बहुत खुश होती है और उसके घर आने का इंतजार करने लगती है।

थोड़ी देर बाद वह गरिमा को फोन करती है। फोन बजते ही तुरंत गरिमा फोन उठा लेती है।

रागिनी - हेलो भाभी, आपको पता है आज क्या हुआ।

गरिमा - क्या हुआ दीदी, आज बहुत खुश लग रही हो।

रागिनी - आपको पता है दीदी शादी के बाद आज पहली बार उन्होंने मुझसे इतने अच्छे से बात की है। मुझे नहीं पता था कि इनका यह रूप भी है।

गरिमा - चलो अच्छा है, जीजा जी पर हमारी बातों का असर हो गया है।

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रागिनी - नहीं भाभी, यहां बात कुछ और है। पर क्या...? समझ नहीं आ रहा कुछ...। चलो मैं उनके आने का इंतजार करती हूं।

गरिमा - ठीक है दीदी। मुझे बताना जरूर, ओके बाय टेक केयर।

रागिनी बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही है। आज घर पर वह अकेली है। उसके सास - ससुर कहीं बाहर रिश्तेदार के यहां गए हैं और जेठ जेठानी डॉक्टर के पास गए हैं।


दरवाजे की घंटी बजती है। रागिनी तुरंत जाकर दरवाजा खोलती है। सामने अनुज खड़ा है। वह रागिनी को देखकर थोड़ा मुस्कुराया। आज वह हमेशा की तरह रागिनी को नजरअंदाज करके कमरे में नहीं घुसा। अनुज के इस बिहेवियर को देखकर रागिनी हैरान रह गई। उसके बाद अनुज ने कमरे में प्रवेश किया।

रोहित सोफे पर जाकर बैठ जाता है। रागिनी पानी लेकर आती है और ट्रे को उसके सामने करती है।

अनुज - थैंक यू।

रागिनी - आज आप इतना जल्दी आ गए। और आप बता रहे थे कि आप hospital में गए थे... क्या हुआ सब ठीक तो है ना। या फिर किसी employe की तबीयत खराब हो गई थी।

अनुज - नहीं किसी की तबीयत खराब नहीं है।

रागिनी - फिर... ?

अनुज - रागिनी में तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं। लेकिन मैं बहुत थक गया हूं पहले फ्रेश हो जाऊं। तब तक प्लीज मेरे लिए एक कप चाय बना दो।

रागिनी - ठीक है। (वह किचन की ओर जाती है। आज वह भी बहुत खुश है क्योंकि उसे आज पहली बार अनुज का यह रूप देखने को मिला है।)

कुछ देर बाद.....

अनुज कमरे में बेड पर बैठकर कुछ सोच रहा है। तभी रागिनी चाय लेकर आती है। कुछ देर तक दोनों चुप रहते हैं। अनुज चाय पीकर कप को टेबल पर रखता है। अब अनुज को कुछ हल्का महसूस हो रहा है। लेकिन अभी भी उसे समझ नहीं आ रहा है कि वह कहां से बात शुरू करे।

अचानक वहां रागिनी के दोनों हाथ अपने हाथों में लेता है और उसकी ओर मुंह करके बैठ जाता है।

अनुज - रागिनी, मुझे माफ कर दो प्लीज।

रागिनी - क्या हुआ ? और आज आप ऐसा क्यों बोल रहे हो ?

अनुज - मैंने तुम्हें बहुत दुख दिए है। एक औरत को जो सम्मान मिलना चाहिए वह तुम्हें कभी नहीं मिला। लेकिन फिर भी तुमने मेरा हमेशा ख्याल रखा है। हमेशा मेरी फिक्र की है और बदले में मैंने तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं किया।

रागिनी - अनुज, अब इन बातों का क्या मतलब ?

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अनुज - मुझे नहीं पता, लेकिन मैं इतना जानता हूं कि मैं तुम्हारा गुनेहगार हूं। और मैंने तो मां की बातों में आकर अपनी ही बच्ची क जान ले ली। मुझे पता है तुम इसके लिए मुझे कभी माफ नहीं करोगी।


प्लीज रागिनी प्लीज मुझे माफ कर दो। अब मैं अपने आप को बदलना चाहता हूं। अब मैं एक अच्छा पति, एक अच्छा पिता और... और एक अच्छा इंसान बनना चाहता हूं। लेकिन यह सब तुम्हारे साथ के बिना मुमकिन नहीं है। बोलो रागिनी... दोगी ना मेरा साथ।

रागिनी - (रोते हुए) हां... मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी। पर मुझसे तुम एक वादा करो कि हमेशा तुम ऐसे ही रहोगे।

अनुज - मैं वादा करता हूं कि मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा चाहे कुछ भी हो जाए...। 

अनुज ने रागिनी को सारी बातें बताईं कि किस तरह रामलाल की बातों ने उसे झकझोर दिया।

अनुज - तुम्हें पता है रागिनी... रामलाल की बेटी बिल्कुल रामलाल पर गई है। वह बहुत ही प्यारी और मासूम है। उसने मेरी उंगली को इतना जोर से पकड़ा था जैसे कोई खिलौना पकड़ लिया हो। अगर हमारी बच्ची भी होती तो वह भी इतनी ही मासूम और प्यारी होती। वह भी मेरी तरह... या शायद तुम्हारी तरह होती। पर मैंने... मैंने तो अपनी ही बच्ची को...

अनुज नीचे बैठ कर रो रहा है। रागिनी उसे उठाती है और उसके आंसू पोंछती है। अनुज एक बच्चे की तरह अपना सिर रागिनी की गोद में रख लेता है।

आज दोनों का ही मन एक दूसरे के लिए प्यार से भरा हुआ है। ऐसा लग रहा है कि उनकी शादी 1 साल पहले नहीं बल्कि आज हुई हो। वास्तव में तो उन्हें आज ही अपना हमसफ़र मिला है। 

अनुज - रागिनी, मैंने अपनी बच्ची को तो इस दुनिया में नहीं आने दिया। लेकिन अब मैं पश्चाताप करना चाहता हूं। मैंने सोचा है कि.....

और इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। अनुज ने क्या सोचा और वह अब क्या करने वाला है, जानने के लिए इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।



Special Words :

उम्मीद करता हूं , दोस्तो ! आपको आज की यह Love Story ( तू मेरा हमसफ़र ) काफी पसंद आयी होगी। पसंद आयी हो तो नीचे comment में हमें जरूर बताएं। यह इस कहानी का सातवां भाग है। अगर आप इस कहानी का अगला भाग भी पढ़ना चाहते हैं तो Comment जरूर करें।

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Pradeep Kushwah

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