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चालाक सेठ और किसान | Chalak Seth Aur Kisan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Fairy Tales | Hindi Stories

चालाक सेठ और किसान | Chalak Seth Aur Kisan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Fairy Tales | Hindi Stories
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Apr 14, 2023
हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई मजेदार Series में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " चालाक सेठ और किसान " यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आप भी Hindi Kahaniya, Bed Time Stories या Hindi Stories पढ़ने का शौक रखते है। तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

चालाक सेठ और किसान | Chalak Seth Aur Kisan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Fairy Tales | Hindi Stories

Chalak Seth Aur Kisan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Hindi Fairy Tales | Hindi Stories



 चालाक सेठ और किसान 

बलियापुर के एक छोटे से गांव में मंगत लाल रहा करता था। वह बहुत ही चालाक और बेईमान था लेकिन उतना ही कंजूस भी था। 
मंगत लाल पूरे गांव में पैसे उधारी पर दिया करता था लेकिन अपने लालच के कारण सभी गांव वालों से दुगुना ब्याज वसूल करता था।

एक दिन...
मंगत लाल की पत्नी," अजी सुनते हो, आज तो मेरा जलेबी खाने का मन है। आप बाहर जा रहे हैं तो लेते आइएगा। "

मंगत लाल," अरे रे ! जलेबी तो बहुत महंगी है। अरे भाग्यवान ! तुमने पिछले हफ्ते ही तो खाई थी। 

ना बाबा ना, इतनी महंगी जलेबी मैं नहीं ला सकता। ना ना ना... रोज रोज जलेबी खाकर तुम्हारा गला खराब हो जाएगा भाई। 

मंगत लाल की पत्नी," अरे ! कितना कंजूसी करते हो आप ? आपके पास इतने पैसे हैं। 

पूरा गांव आपसे उधार लेकर जाता है और आप उनसे दुगना ब्याज लेते हैं। फिर भी हर वक्त की कंजूसी अच्छी नहीं होती। "

मंगत लाल," भाग्यवान, पैसे इन फिजूल खर्ची के लिए नहीं होते। अगर इस तरह खर्च किया तो वह दिन दूर नहीं जब मेरे पास कोई फूटी कौड़ी भी नहीं बचेगी हां। "

मंगत लाल की पत्नी," अब आपको कौन समझा सकता है ? आप और आपकी कंजूसी, कंजूसों के भी बाप हो आप। "

मंगत लाल," हां, ठीक है कंजूस ही सही... अब मैं चलता हूं। "

इसके बाद वह वहां से चला जाता है। तभी रास्ते में उसे गांव का एक व्यक्ति वसंत मिलता है। वसंत जो कि एक गरीब किसान होता है। 

वसंत," अरे रे ! लाला जी, कहां जा रहे हैं आप ? मैं तो आपके घर ही आने वाला था लेकिन आप तो यही मिल गए।

मंगत लाल (मन में)," अच्छा हुआ कि यह घर नहीं गया। घर जाता तो चाय पानी का खर्चा अलग से बढ़ जाता। "

मंगत लाल," अरे ! हां बोलो भाई, क्या काम है ? "

वसंत," लाला जी, मुझे कुछ पैसों की जरूरत थी। मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है। 

मुझे उनके इलाज के लिए पैसों की आवश्यकता थी। इसलिए मां के इलाज के लिए आप कुछ पैसे उधार दे दीजिए। "

मंगत लाल," हां हां, ठीक है। उधार तो मैं तुम्हें दे दूंगा लेकिन मैं दोगुना ब्याज लेता हूं हां। दे सकोगे ना भैया बोलो ? "

वसंत," लाला जी, मैं तो एक गरीब किसान हूं। मुश्किल से अपना गुजर-बसर करता हूं। आपको दुगना ब्याज कहां से लाकर दूंगा ? "

मंगत लाल," देखो भाई वसंत, यह सब मुझे नहीं पता। अगर पैसे लेने हैं तो ब्याज तो तुम्हें दोगुना ही देना होगा। "

वसंत (थोड़ी देर सोचने के बाद)," लाला जी, मैं आपको दोगुना ब्याज तो नहीं दे पाऊंगा लेकिन मेरे पास एक ही गाय है जिससे मैं अपना गुजर-बसर करता हूं, आप उसे रख लीजिएगा। जब आपका ब्याज पूरा हो जाए तो मैं वापस उसे मांग लूंगा। "

मंगत लाल," अरे रे भाई ! मैं तुम्हारी गाय का भला क्या करूंगा बताओ ? नहीं नहीं, मुझे नहीं चाहिए तुम्हारी गाय। "

वसंत," नहीं नहीं लाला जी, मेरी गाय में एक खूबी है। वह दिन में केवल 2 बार नहीं बल्कि 5 बार दूध देती है हां। "

मंगत लाल (मन में)," क्या कहा ? पांच बार... अरे वाह ! फिर तो बहुत ही अच्छी बात है। मैं तो उस गाय का दूध ही बेचकर बहुत सारे पैसे कमा सकता हूं। "

मंगत लाल," हां हां, ठीक है ठीक है। तुम इतना बोल रहे हो तो दे देता हूं तुम्हें उधार। कल घर आकर ले जाना और अपनी गाय भी साथ ले आना। समझे..? "


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वसंत," हां हां लाला जी, मैं कल आकर पैसे ले जाऊंगा और गाय भी साथ ही ले आऊंगा। "

मंगत लाल," ठीक है, मैं चलता हूं। "

अगली सुबह वसंत अपनी गाय के साथ मंगत लाल के घर पहुंचता है। 

वसंत," लाला जी, मैं अपनी गाय ले आया हूं। अब आप मुझे पैसे दे दीजिए। "

मंगत लाल," अच्छा अच्छा ठीक है और याद रखना जब तक ब्याज पूरा नहीं होगा, यहां अपनी गाय लेने मत आना। समझे..? "

वसंत," हां, ठीक है। अब मैं चलता हूं। "

मंगत लाल," अरे भाई ! जरा देखूं तो। यह गाय देखने में तो ठीक ही लगती है लेकिन क्या सच में 5 बार दूध देती है। "

तभी मंगत लाल एक बाल्टी लेकर आता है और गाय का दूध निकालने की कोशिश करता है। 

मंगत लाल," आजा आजा, आजा मेरी प्यारी गाय। "

तभी गाय पीछे के पैरों से मंगत लाल को जोर से धक्का देती है और मंगत लाल जमीन पर गिर जाता है।

मंगत लाल," हाय हाय हाय... तोड़ दिए मेरे हाथ पैर। यह कैसी पागल गाय हाथ लगी है मेरे ? "

तभी उसकी पत्नी आती है। 

मंगत लाल की पत्नी," अरे रे ! क्या हुआ जी और यह 'गाय गाय' क्या कर रहे हैं ? अरे किसकी गाय उठा ली है आपने ? "

तभी मंगत लाल जमीन से उठता है। 

मंगत लाल," अरे भाग्यवान ! यह अब मेरी ही समझो हां। गांव का वसंत किसान मुझसे कुछ पैसे उधार ले गया है। अब उससे तो चुकने से रहा मेरा ब्याज।

इसलिए उसकी गाय ही रख ली मैंने। अब उसकी गाय से ही उसका ब्याज चुकता हो सकता है। "

मंगत लाल की पत्नी," क्या कहा जी ? गाय रख ली। वसंत तो बेचारा बहुत ही गरीब किसान है। एक ही गाय तो है उसका सहारा और वह भी आपने रख ली। "

मंगत लाल," अरे रे ! यह कैसी पत्नी पल्ले पड़ी है मेरे ? तुम्हें नहीं पता भाग्यवान, यह गाय दिन में 5 बार दूध देती है हां 5 बार। 

सोचो अगर मैं इस गाय का दूध बेचने लगूं तो कितना सारा पैसा आएगा घर में ? सोचो जरा सोचो। "

मंगत लाल की पत्नी," अरे बस कीजिए। आप तो जब देखो तब पैसों के ही बारे में सोचते रहते हो। हे भगवान ! क्या करूं मैं इनका ? "

उधर बेचारा बसंत अपने घर जाता है। 

वसंत की पत्नी," आ गए जी हमारी प्यारी गाय देकर..? अब हमारा क्या होगा ? "

वसंत," मैं जानता हूं भाग्यवान, वह गाय ही हमारी रोटी का सहारा था। लेकिन तुम तो जानती ही हो कि मां की तबीयत ठीक नहीं है। 

उनके इलाज के लिए ही मैंने लाला मंगत लाल से पैसे उधार लिए हैं। और जब तक वह अपना ब्याज वसूल नहीं कर लेता, हमारी गाय उसके पास ही रहेगी। 

इसमें मैं अब कुछ भी नहीं कर सकता हूं। न जाने कब हमारी गाय अब हमारे पास आ पाएगी ? "

ऐसा कहते हुए वसंत बहुत उदास हो जाता है। अगले दिन मंगत लाल फिर से गाय का दूध निकालने लगता है।

इस बार भी गाय उसके हाथ नहीं आती। मंगत लाल जब भी उस गाय को हाथ लगाता, गाय उससे दूर भागने लगती। 

मंगत लाल," अरे रे रे ! यह गाय मैंने लालच में आकर ले तो ली है लेकिन मुझे लगता नहीं है कि यह मेरे काबू में आ पाएगी। "

वह उस गाय के पीछे भागने लगता है लेकिन वह उसके हाथ नहीं आती। 

मंगत लाल," अरे भाई यह तो मेरे हाथ ही नहीं आती है। लगता है अब मुझे इसका कुछ करना ही होगा। "

काफी देर उस गाय के पीछे भागने के बाद मंगत लाल को बहुत गुस्सा आता है और वह गाय को डंडे से पीटने लगता है। उसके बाद मंगत लाल गाय को एक रस्सी से बांध देता है। 

मंगत लाल," अब देखता हूं कि कैसे हाथ नहीं आती मेरे ? अब भगा तू मुझे अपने पीछे। अच्छी मुसीबत मैंने अपने सिर ले ली। "

इसके बाद मंगत लाल अपने कमरे में जाकर सोने लगता है। अगली सुबह मंगत लाल देखता है कि जहां उसने गाय को बांध रखा था, वह तो वहां है ही नहीं। 

मंगत लाल," हाय हाय हाय... कहां चली गई वो गाय ? लगता है उसे कोई चोरी करके ले गया। हाय हाय... अब मैं क्या करूं ? मेरी गाय कहां चली गई ? "


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थोड़ी देर बाद मंगत लाल दो लोगों को बुलाता है। उनके हाथ में एक लाठी होती है। 

आदमी," जी लाला जी, आपने बुलाया हमें ? "

मंगत लाल," अरे रे ! तुम लोगों को एक गाय ढूंढनी है। "

आदमी," क्या कहा गाय ? "

मंगत लाल," हां, मेरी गाय रात को यहीं बंधी थी। ना जाने कौन उसे चुरा ले गया ? जाओ, ढूंढो और उसे मेरे पास लेकर आओ। समझे..? "

आदमी," अच्छा ठीक है लाला जी, हम अभी ढूंढकर लाते हैं आपकी गाय। "

तभी वह दोनों लोग वहां से चले जाते हैं। थोड़ी देर बाद वापस आते हैं। 

आदमी," नहीं नहीं लाला जी, आपकी गाय तो हमें कहीं नहीं मिली। पूरा गांव छान मारा है। "

लाला," क्या कहा ? नहीं मिली... आखिर वह इस गांव को छोड़कर कहां जा सकती है ? लगता है तुमने ठीक से ढूंढा नहीं होगा। " 

मंगत लाल सोच में पड़ जाता है और पूरे गांव में यह ऐलान कर देता है कि जो भी उसकी सफेद रंग की गाय को ढूंढकर लाएगा उसे इनाम में ₹5000 दिए जाएंगे। 

जब यह खबर पूरे गांव में सबको पता चलती है तो सभी गांव वाले मंगत लाल की गाय ढूंढने लगते हैं।

अगले दिन तीन लोग सफेद रंग की गाय लेकर मंगत लाल के पास आते हैं। यह देखकर मंगत लाल चौंक जाता है।

पहला आदमी," अरे लाला जी ! यह देखिए, मैं आपकी गाय ढूंढकर ले आया हूं। "

दूसरा आदमी," नहीं नहीं लाला जी, यह बिल्कुल झूठ बोल रहा है। मैं लेकर आया हूं आपकी गाय। "

तीसरा आदमी," नहीं नहीं लाला जी, यह दोनों झूठ बोल रहे हैं। मेरी वाली गाय ही आपकी गाय है। आप मुझे मेरे 5000 दीजिए हां। "

पहला आदमी," नहीं नहीं, मुझे 5000 दीजिए। "

दूसरा आदमी," नहीं नहीं, मुझे दीजिए मुझे। "

इस तरह वे तीनों आपस में लड़ने लगते हैं। यह सब देखकर मंगत लाल बहुत चिंता में पड़ जाता है। 

मंगत लाल (मन में)," हे भगवान ! यह किस दुविधा में डाल दिया ? अगर मैंने गलत गाय चुन ली तो बहुत नुकसान हो जाएगा। 

मेरा लालच तो मुझ पर ही भारी पड़ जाएगा। हे भगवान ! अब मैं क्या करूं ? मुझे वसंत से उसकी गाय लेनी ही नहीं चाहिए थी। "

दूसरा आदमी," अरे लाला जी ! हम लोग इतना मेहनत से आपके लिए सफेद रंग की गाय पकड़ कर लेकर आए हैं। 

5000 रुपए दो और गाय बांधो। समझे..? खोपड़ी खराब मत करो बता दे रहे हैं। "

तीसरा आदमी," अरे ! यह कंजूस लाला ऐसे नहीं मानेगा हां बता रहे हैं। इसको आज सबक सिखाना ही पड़ेगा। बता रहे हैं, खोपड़िया खोल देंगे इसकी हां। "

मंगत लाल," अरे अरे भाइयों ! गुस्सा मत करो, गुस्सा मत करो। मेरे भाइयों, तुम लोग अपने पांच पांच हजार रुपए ले लो और गाय यहां बांध दो, ठीक है। ठीक है भैया, जय राम जी की। "

तीनों आदमी अपनी अपनी गाय बांधकर और पैसे लेकर वहां से चले जाते हैं। 

मंगत लाल," अरे ! ज्यादा कमाने के चक्कर में उल्टा नुकसान कर लिया। इस वसंत को तो मैं छोडूंगा नहीं। "

मंगत लाल को पछतावा होने लगता है। तभी उसकी पत्नी उसके पास आती है। 

मंगत लाल की पत्नी," क्या हुआ जी..? इतना दुखी क्यों हो आप ? "

मंगत लाल अपनी पत्नी को सारी बात बताता है। तभी उसकी पत्नी जोर जोर से हंसने लगती है। 

मंगत लाल," हंस क्यों रही हो, हंस क्यों रही हो हां ? यहां तुम्हारे पति का इतना बड़ा नुकसान हुआ है और तुम जोर जोर से हंसे जा रही हो। "

मंगत लाल की पत्नी," हंसू क्यों नहीं जी..? यह सब तो मैंने ही किया है ताकि आपको थोड़ा सबक मिल सके। "

मंगत लाल," क्या कहा भाग्यवान..? यह सब तुमने किया है लेकिन क्यों ? "

मंगत लाल की पत्नी," हां जी, बेचारे वसंत की गाय को आप अपने घर ले आए और दिन-रात अपने लालच के कारण उस गाय को अपने काबू में किसी भी हालत में करना चाहते थे। 

इसलिए आपने उस गाय को इतना मारा। उस बेचारी गाय की दशा मुझसे देखी नहीं गई इसलिए मैंने वापस उस गाय को वसंत को दे दिया। "

यह बात सुनकर मंगत लाल हैरान हो जाता है। मंगत लाल को अपनी गलती का अहसास हो जाता है। 


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मंगत लाल," भाग्यवान, तुमने बिल्कुल सही किया। मैं अपने लालची मन के कारण सही गलत का अंतर करना ही भूल गया था लेकिन अब मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है। अब मैं कभी लालच नहीं करूंगा, कभी नहीं। "

वसंत भी अपनी गाय पाकर बहुत खुश होता है और खुशहाली से अपना जीवन जीने लगता है।


इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें अवश्य बताएं।

Pradeep Kushwah

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