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रिश्ता प्यार का - (भाग - 6) : Hindi Love Story | College Love Story | Best New Love Story in Hindi

रिश्ता प्यार का - (भाग - 6) : Hindi Love Story | College Love Story | Best New Love Story in Hindi
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Oct 24, 2022

New Majedaar & Hindi Love Story - नमस्कार दोस्तो , स्वागत है आप सभी का आज की इस नई और मजेदार कहानी में। आज की इस कहानी का नाम है - "  रिश्ता प्यार का  "। यह एक Hindi Love Story है , जिसे पढ़कर आपको खूब मज़ा आने वाला है।


इस कहानी को हम 14 - भागों में पूरा करेंगे। कहानी को पूरा पढ़ने में हम आपकी मदद करेंगे। यह इस कहानी का ( भाग - 6 ) है।


 रिश्ता प्यार का - भाग (6) 


रिश्ता प्यार का - (भाग - 6) : Hindi Love Story | College Love Story | Best New Love Story in Hindi

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अब तक आपने पढ़ा :-

मानव निशा के कॉलेज से उसे लेने जाता है। वहां से विवेक का एक दोस्त, सौरव उन दोनों का पीछा करता है जिसका अंदेशा मानव को हो जाता है। वह दोनों एक रेस्टोरेंट में चाय के लिए जाते हैं। वहां रिद्धि भी आ जाती है। मानव और रिद्धि की नज़दीकियां निशा बर्दाश्त नहीं कर पा रही है।

घर लौटने के बाद मानव को जब इस बात का एहसास होता है तो वह निशा के घर जाकर उसे बताता है कि जो लड़का कॉलेज से हमारा पीछा कर रहा था, शायद वह उस पर नजर रखे था। इसलिए वह नहीं चाहता था कि उस पर कोई मुसीबत आए।


अब आगे :-

मानव के इतने प्यार से बोलने पर निशा उसका मुंह देख रही होती है। मानव के मन में अपनी फिक्र जानकर निशा काफी खुश होती है।

मानव :- निशा... माना कि यह तुम्हारी पर्सनल लाइफ है। अगर तुम चाहो तो मुझे बता सकती हो। वहां रेस्टोरेंट में तुम मुझे कुछ बता रही थी पर वहां रिद्धि आ गई और...।

निशा :- और आप वहां से चले गए। 

मानव :- I am really sorry. यार 

निशा :- It's Ok.

मानव :- तो बताओ...।


निशा मानव को सारी बात बताती है कि विवेक कैसे उसे तंग कर रहा है ? वह बताती है कि जब आंटी अंकल की एनिवर्सरी की शॉपिंग के लिए वह और कीर्ति मॉल में थे तो वहां भी विवेक आया था और उसने उसे परेशान किया था। 

कीर्ति को यह बातें इसलिए पता नहीं चली क्योंकि वह ट्रायल रूम में थी। तभी यह सब बता कर वह रोने लगती है।

मानव उसे चुप कराते हुए कहता है," निशा... विवेक की हिम्मत तुम्हारा डर है। वह तुम पर तब तक ही हावी हो सकता है जब तक तुम उसका सामना नहीं करती। कोई हर वक्त तुम्हारे साथ नहीं रह सकता। तुम्हें खुद अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व करना होगा। "

निशा :- पर वह बहुत ताकतवर है।

मानव :- क्यों... एलियन है ?

निशा :- आप बात नहीं समझ रहे हैं, उसके पापा विधायक हैं।

मानव :- तो 

निशा :- हम उससे कैसे पंगा ले सकते हैं ?

मानव :- ओके ! तो शायद तुम भी विवेक को पसंद करती हो ?

निशा :- छी ! हाउ इनसेंसेटिव यू आर ?

मानव :- इसमें इनसेंसेटिव जैसा क्या है ? तुम विवेक को पसंद नहीं करती हो फिर उसे क्यों झेल रही हो बताओ ? तुम्हें क्या लग रहा है कोई हीरो आएगा और तुम्हारे लिए विवेक से फाइट करेगा बोलो ? अगर तुम्हें ऐसा रियली में लग रहा है तो वेट करो। 

निशा की आंखों से आंसू निकलने लगते हैं। वह मानव के बारे में क्या सोच रही थी और यहां क्या हो रहा है ?

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निशा (रोते हुए काफी गुस्से से) :- मैंने आपसे मदद नहीं मांगी थी। आप ही जिद कर रहे थे बताने को। ठीक है... यह मेरी प्रॉब्लम है मैं खुद सॉल्व कर लूंगी।

मानव :- तुममें इतनी हिम्मत नहीं है। तुम अपने हीरो का वेट करो। फिर मानव का मोबाइल बजता है वह फोन उठाते हुए निशा के घर से बाहर निकलता है। 

हाय रिद्धि ! क्या चल रहा है ? ओके ! ओके ! वी विल डेफिनटली कम... डोंट वरी। जैसे ही वह निशा के घर से बाहर निकलता है निशा जोर से दरवाजा बंद कर लेती है।

मानव :- ऊऊओ...।

निशा अपने कमरे में जाकर खूब रोती है। मैंने कौन सा हेल्प मांगा था ? कितने गलत एलिवेशन लगा रहे थे ? समझते क्या है अपने आपको ? होते कौन हैं मुझे जज करने वाले ? और रोने लगती है। मानव... शायद आपको मैं चाहने ?? पर नहीं रिद्धि ही आपके लिए सही है। वह रोते रोते सो जाती है। 


अगले दिन :-

निशा नहाकर बालकनी में अपने कपड़े सुखाने आती है तो मानव के रूम की खिड़की बंद होती है। जब निशा तैयार होकर नीचे आती है तो मानव की बाइक भी नहीं होती है। निशा को लगता है कि वह रिद्धि से मिलने गए है; क्योंकि कल तो उसी का कॉल आया था। 

उसे अपने आप पर, रिद्धि पर और मानव पर सब पर काफी गुस्सा आ रहा था। जब वह कॉलेज पहुंचती है तो उसके सामने ही विवेक और उसके दोस्त मिलते हैं। वह सीधे उनके पास पहुंचती है।


निशा (विवेक को उंगली दिखाते हुए) :- तुम अपने आप को समझते क्या हो ? मेरे पीछे अपने चमचों को जासूसी करने के लिए भेजते हो। तुम क्या समझते हो कि तुम बहुत पावरफुल हो ? 

अगर आइंदा मुझे परेशान करने की कोशिश की तो प्रिंसिपल के बाद मैं तुम्हारे घर जाकर तुम्हारे पापा से शिकायत करूंगी, कहकर जाने लगती है। विवेक और उसके दोस्त एक-दूसरे का मुंह देखते हैं। 

निशा उल्टे पांव फिर उनके पास लौटकर आती है और विवेक को उंगली दिखाते हुए कहती है," Don't you dare. मुझे कमजोर मत समझना अंडरस्टैंड। "

उसके बाद वो चली जाती है। आगे जाकर वह लंबी लंबी सांसे लेती है और सोचती है... कैसे विवेक को उसने इतना कुछ बोल दिया ? अपनी आंखें बंद करके एक पेड़ पर अपना सर टेक कर खड़ी हो जाती है।

" वाह यार ! तुम तो वाकई में झांसी की रानी हो, किसी ने कहा। "

वह हड़बड़ाकर आंखें खोलती है। वह मानव होता है जो उसके सामने खड़े होकर मुस्कुरा रहा होता है।

निशा :- आप यहां... उसे लगता है वह सपना देख रही है। वह अपनी आंखें मींचती है।

मानव :- अरे मैं सच में यहां हूं। 

निशा :- आप यहां क्यों आए ? आगे बढ़ते हुए बोलती है। 

मानव :- बस तुम्हारी दादागीरी देखने। 

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अब निशा समझ जाती है कि मानव ने रात में वह सब मुझ में हिम्मत लाने के लिए कहा था। वह खुश हो जाती है। पर अगले ही पल उसे रिद्धि वाली बात याद आ जाती है। फिर वह यह सोचती है कि उसकी चॉइस है, मैं उसे फोर्स नहीं कर सकती और उसे देखकर मुस्कुराती है।

मानव :- अब चलो, मैंने रात से कुछ खाया नहीं है। 

निशा :- पर क्यों ? 

मानव :- तुमने घर से जो निकाल दिया। 

निशा :- पर मेरी क्लास... ? 

मानव :- प्रिंसिपल से छुट्टी ले ली है। 

निशा :- क्या कह के ?

मानव :- वो बाइक पर बैठने के बाद बताऊंगा वरना तुम भड़क जाओगी। चलो अब। 

निशा मुस्कुराती हुई उसके साथ चली जाती है। वह एक अच्छे से रेस्टोरेंट में गाड़ी रोक देता है जिसका माहौल बहुत ही रोमांटिक है। वह दोनों एक टेबल पर बैठने वाले होते हैं तभी मानव निशा के लिए चेयर खींचता है... आफ्टर यू। 

निशा बैठ जाती है। वह मन में सोचती है आज बड़ा मैनर्स फॉलो कर रहे हैं जनाब। फिर मानव बैठता है। मानव निशा को मैन्यू देखने कहता है। 

मानव :- आज तुम्हारी पसंद का खाना और पार्टी मेरी ओर से। 
निशा :- पार्टी क्यों ? 

मानव :- तुमने अपने डर को जीत लिया। 

निशा खाना सिलेक्ट करती है। वेटर ऑर्डर लेने चला जाता है। 

निशा :- अब बताइए। 

मानव :- क्या ?

निशा :- आपने प्रिंसिपल सर से क्या कहा ? 

मानव :- यही कि तुम्हारी दादी ICU में है, तुम्हें याद कर रही है। 

निशा :- पर वह तो है ही नहीं।

मानव :- तो तुम कौन सा ICU में उन्हें देखने आई हो।

निशा उसे देख कर मुस्कुरा देती है। अब वह लोग घर लौट आते हैं। मानव निशा को बताता है कि आज मम्मी लोग वैष्णो देवी से लौट रहे हैं। निशा सबके लिए खाना बनाती है और इसमें मानव उसकी थोड़ी मदद भी कर देता है। 

रात को सब लौटते हैं, यात्रा काफी अच्छी रही। सब काफी थके थे। निशा कीर्ति के घर जाकर बताती है कि उसने सबका डिनर तैयार कर लिया है। सब फ्रेश होकर आ जाए। वह आंटी से पूछती है कि खाना यहीं ले आएगी या वह उनके यहां आएंगे। 

आंटी बोलती है नहीं... तुमने इतने प्यार से खाना बनाया है तो वहीं आकर साथ मिलकर खाना खाएंगे।

अब सब साथ मिलकर डिनर करते हैं। मानव निशा को देख रहा होता है और कुछ सोचकर मुस्कुराने लगता है। 

दो दिन बाद मानव होस्टल लौट जाता है। धीरे-धीरे समय गुजरने लगता है। दिल्ली में रहकर भी मानव 2 महीने से घर नहीं आया। निशा की बेचैनी बढ़ रही है। पर उसे समझ नहीं आ रहा कि वह यह कैसे पता करे कि मानव कब आएगा ? 

वह उसकी एक झलक पाने को बेताब है। वो उसकी सारी पिछली बातें याद करती है। वह सोचती है कि मेरा तो नंबर भी है उसके पास, एक कॉल भी नहीं कर सकते। उसे लगता है कि शायद रिद्धि के साथ बिजी होंगे। 



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वह यह सोच सोच कर परेशान होती रहती है कि उसके साथ बिताए गए पल उसके लिए कोई अहमियत नहीं रखते ? वह काफी परेशान रहती है। एक दिन वह हिम्मत करके कीर्ति से पूछती है।

निशा :- मानव का कॉलेज तो खत्म होने वाला था ना ?

कीर्ति :- खत्म होने वाला था नहीं दी... खत्म हो चुका है। 

निशा :- फिर भी हॉस्टल में रहते हैं। दोस्तों से इतना प्यार है ? 

कीर्ति :- अरे ! नहीं दी, वह तो... अच्छा बाद में बताऊंगी। 

निशा :- अरे ! बोल तो...। 

कीर्ति वहां से चली जाती है।


1 Week बाद :-

निशा कॉलेज से आती है तो देखती है, आंटी मिठाई का डब्बा लेकर उसके घर आई हुई है। आंटी और मम्मी बहुत खुश है। निशा आकर आंटी को प्रणाम कर वहीं बैठ जाती है।

आंटी :- निशा ले तू भी मिठाई खा। 

निशा मिठाई लेते हुए खुशी का कारण पूछती है तो आंटी बताती है मानव का जॉब लग गया है और वो भी गवर्नमेंट इंजीनियर। वह एक टेक्निकल इंजीनियर बन गया है। अभी ट्रेनिंग के लिए बेंगलुरु गया था। 

हमें भी कुछ नहीं बताया। अब बस पोस्टिंग बाकी है। निशा भी काफी खुश है मानव के लिए। आंटी जी के जाने के बाद खाने की टेबल पर आज मम्मी पापा मानक की काफी तारीफ कर रहे थे। उसे बहुत अच्छा लग रहा था। 


पापा भी उसके संस्कार, विचार आदि की काफी तारीफ कर रहे थे। खाने के बाद जब देर रात में निशा सोने गई तो आज खुद पर काबू नहीं रख पाई और उसकी उंगलियां अपने आप उसके मोबाइल के व्हाट्सएप ऐप पर मानव का नंबर ढूंढ कर उसे Congratulate करने देती हैं। वह उसका व्हाट्सएप ऐप की डीपी निकाल उसकी तस्वीर देख रही होती है। थोड़ी देर बाद रिप्लाई आता है।

मानव :- थैंक्यू ! वो... तुम्हें पता चल गया।

निशा :- तो आपने क्या सोचा कि अगर आप नहीं बताएंगे तो मुझे नहीं पता चलेगा ?

निशा :- पार्टी ? 

मानव :- जब तुम कहो 

निशा :- कह तो ऐसे रहे हो जैसे अभी बोलूंगी तो अभी पार्टी दे देंगे।

मानव :- अभी तो नहीं पर परसों जरूर पार्टी दे दूंगा।

निशा :- आप परसों आ रहे हैं ?


कहानी के इस भाग में बस इतना ही अगर आप इस कहानी को आगे भी पढ़ते रहना चाहते हैं तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।





Special Words :

उम्मीद करता हूं , दोस्तो ! आपको आज की यह Love Story (रिश्ता प्यार का - Hindi Love Story) काफी पसंद आयी होगी। पसंद आयी हो तो नीचे comment में हमें जरूर बताएं। यह इस कहानी का पहला भाग है। अगर आप इस कहानी का अगला भाग भी पढ़ना चाहते हैं तो Comment जरूर करें।

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Pradeep Kushwah

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