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बदमाश भाई | Badmash Bhai | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani

बदमाश भाई | Badmash Bhai | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani
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Mar 1, 2023
हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई मजेदार Series में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " बदमाश भाई "  यह एक Bedtime Story है। अगर आप भी Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bed Time Stories पढ़ने का शौक रखते है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

बदमाश भाई | Badmash Bhai | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani

Badmash Bhai | Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani 



 बदमाश भाई 

चंदनपुर नाम के एक छोटे से गांव में कमला नाम की एक बूढ़ी औरत रहती थी। कमला के दो बेटे थे, गुड्डू और बबलू। 

गुड्डू बहुत मेहनती था और अक्सर पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी मां के साथ मटके बनाने में उसकी मदद करता था। 

लेकिन बबलू बहुत कामचोर और घमंडी था। वह अपनी मां की बिल्कुल भी मदद नहीं करता था।

एक दिन कमला बहुत बीमार पड़ गई।

कमला," अरे ! मेरे बच्चों... अब मैं बूढ़ी हो गई हूं। मुझसे और यह मिट्टी के घड़े नहीं बनाए जाते और ना ही शहर जा कर बेचे जाते हैं। तुम लोग अब बड़े हो गए हो। 

मैं चाहती हूं कि तुम लोग अब मिट्टी के घड़े बनाया करो और शहर जाकर उन्हें बेचा करो। यह घर इसी मिट्टी के घड़ों के काम की वजह से चलता है मेरे बच्चो...। "

बबलू," अरे मां ! यह क्या कह रही हो ? मैं यह मिट्टी के घड़े बनाऊंगा। यह छोटा काम मुझसे नहीं होगा। मैं तो कुछ बड़ा करूंगा। यह है ना तुम्हारा गुड्डू, यह बनाएगा तुम्हारे मिट्टी के घड़े। "

कमला," अरे बेटा ! कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता। आखिर मैंने भी तो अब तक इन्हीं मिट्टी के घड़ों की वजह से तुम्हें इतना बड़ा किया है। 

जब तुम अच्छे से मिट्टी के घड़ों को बनाकर बेचोगे तो तुम्हें जरूर सफलता मिलेगी। "

बबलू," नहीं मां, मैं यह सब बातों को नहीं मानता। मैं मिट्टी के घड़े नहीं बनाऊंगा बस। "

इसके बाद बबलू वहां से चला जा जाता है। 


कमला," क्या तुम्हें भी कोई दिक्कत है बेटा, इन मिट्टी के घड़ों को बनाने में ? यह बबलू तो मेरी कभी नहीं सुनता। " 

गुड्डू," नहीं, मैं यह सब अच्छे से जानता हूं कि तुम्हारी अब तबीयत ठीक नहीं रहती। इसीलिए अब तुम हम दोनों भाइयों को यह काम करने के लिए बोल रही हो। 

तुम चिंता मत करो। मैं मिट्टी के घड़े बनाकर उन्हें शहर जाकर बेच आया करूंगा। 

कमला," मुझे पता है बेटा। तुम मेरे लायक बैठे हो।

गुड्डू अगले दिन से ही मिट्टी के घड़े बनाने लगता है। 

बबलू," अरे ! कुछ नहीं होगा तेरे मिट्टी के घड़े बनाने से। कोई नहीं लेगा तेरे यह मिट्टी के घड़े। समझा... बेकार में मेहनत कर रहा है। "

गुड्डू," मुझे नहीं पता भैया, मेरे यह मिट्टी के घड़े कोई खरीदेगा या नहीं लेकिन मुझे इतना तो पता है कि कम से कम मुझे कोशिश तो करनी चाहिए। "

गुड्डू," हां हां ठीक है, कर ले कोशिश। मुझे क्या ही लेना देना तेरे इन मामूली मिट्टी के घड़ों से ? "


इसके बाद बबलू वहां से चला जाता है। अगले दिन गुड्डू अपने रंग-बिरंगे मिट्टी के घड़ों को अपने ठेले पर रखता है और शहर की ओर चल देता है। जब वह जा ही रहा होता है तो रास्ते में उसे एक औरत मिलती है।


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औरत," अरे ओ भाई ! यह मिट्टी के घड़े क्या तुमने बनाए हैं ? वैसे तो हर रोज इस रास्ते से एक बूढ़ी अम्मा मिट्टी के घड़े लेकर गुजरती है। "

गुड्डू," जी हां, जो औरत हर रोज मिट्टी के घड़े लेकर यहां से गुजरती है वह मेरी मां है। अब उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती इसलिए अब मैं ही मिट्टी के घड़े बनाया करूंगा और शहर लेकर जाया करूंगा। "

औरत," अच्छा ठीक है भाई, मुझे भी एक मिट्टी का घड़ा दे दो। "

गुड्डू उसे अपना सबसे पसंदीदा घड़ा दे देता है। 

औरत," मेरे पास अभी पैसे तो नहीं है भाई...। "

गुड्डू," कोई बात नहीं बहन, तुम इसे रख लो। यह मेरे हाथ का पहला बनाया हुआ घड़ा है। जब तुम्हारे पास पैसे हो जाएं तब तुम मुझे दे देना। "

औरत," तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद भाई ! "


इसके बाद वह औरत वहां से चली जाती है। 

गुड्डू (आवाज लगाते हुए)," मेरे प्यारे देशवासियो... मिट्टी के घड़े ले लो। रंग-बिरंगे और सुंदर सुंदर घड़े ले लो। "

लेकिन पूरा दिन बीत जाता है और गुड्डू का एक भी घड़ा नहीं बिकता है। गुड्डू शाम को बड़ी उदासी के साथ अपने घर लौटता है।

कमला," अरे ! आ गया मेरे बच्चा ? क्या हुआ ? इतना उदास क्यों है ? " 

गुड्डू," मां, मैंने इतनी मेहनत से यह सारे मिट्टी के घड़े तैयार किए हैं लेकिन आज इनमें से एक भी घड़ा मेरा नहीं बिका। सब लोग आते और मेरे घड़े को देखते। लेकिन कोई भी खरीदता ही नहीं। "

कमला," तो क्या हुआ बेटे ? कल बिक जाएंगे। इतनी जल्दी उदास नहीं होते। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है मेरे बच्चे। " 

गुड्डू (अपनी मां की यह बात सुनकर)," मैं और ज्यादा मेहनत करूंगा और ज्यादा अच्छे घड़े तैयार करूंगा। फिर वो घड़े लोगों को जरूर पसंद आएंगे। "

अगले दिन गुड्डू फिर से घड़े बनाता है और इस बार उन सभी घड़ों पर सुंदर सुंदर चित्रकारी भी करता है। 

अगली सुबह गुड्डू फिर सभी घड़ों को अपने ठेले पर रखते है और शहर की ओर चल देता है। शहर जाते हुए उसे वह औरत फिर से मिलती है। 

औरत," भाई तुम्हारे हाथ का बनाया हुआ घड़ा वाकई में मुझे बहुत पसंद आया। तुम मुझे एक और घड़ा दे दो। लेकिन आज भी मेरे पास पैसे नहीं है। " 


गुड्डू," क्या सच में तुम्हें मेरे हाथ का बनाया हुआ वह घड़ा पसंद आया ? कोई बात नहीं, तुम आज भी मुझसे घड़ा ले सकती हो। "

वह एक घड़ा उस औरत को दे देता है। उसके बाद गुड्डू शहर पहुंचकर जोर जोर से चिल्लाने लगता है।

गुड्डू," मेरे प्यारे देशवासियों... घड़े ले लो। सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे घड़े ले लो। "

 तभी गुड्डू के पास एक आदमी आता है। 

आदमी," अरे ओ भाई ! बड़े रंग-बिरंगे घड़े बेच रहे हो। जरा एक घड़ा देना तो। " 

गुड्डू," हां हां, क्यों नहीं ? अभी देता हूं। यह लीजिए। "

आदमी गुड्डू से वह घड़ा लेता है और बदले में कुछ पैसे देता है। गुड्डू बहुत खुश हो जाता है और अपने घर जाता है। 

गुड्डू," देखो मां, आज मेरे हाथ का बनाया हुआ एक एक घड़ा बिक गया है। यह लो यह पैसे तुम रखो। "

कमला," अरे मेरे लाल ! मैं जानती थी तेरी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। यह पैसे तू ही रख। जब मुझे जरूरत होगी तो मैं तुझ से मांग लूंगी मेरे बच्चे। " 

गुड्डू," ठीक है। तुम कहती हो तो रख लेता हूं। " 

तभी वहां पर बबलू आ जाता है। 

बबलू," मां मुझे थोड़े से पैसे चाहिए। मेरे दोस्त शहर जा रहे हैं। मैं भी उनके साथ जाना चाहता हूं। "

कमला," अरे ! क्या पागल हो गया है तू ? तुझे यह नहीं दिखाई देता कि तेरी मां अब मिट्टी के घड़े नहीं बनाती है। मैं तुझे पैसे कहां से दूं ? 

एक तेरा भाई है जो दिन रात मेहनत करता है और एक तू है कि कुछ नहीं करता। "

बबलू को अपनी मां की कही हुई ऐसी बातें बिल्कुल पसंद नहीं आती। 

गुड्डू," ठीक है, पैसे नहीं है तो मत दे लेकिन यह गुड्डू - गुड्डू क्या लगा लगा रखा है ? मैं भी दिखाऊंगा कोई बड़ा और अच्छा काम करके फिर मैं पैसे माँगूगा। " 


इसके बाद बबलू वहां से चला जाता है लेकिन बबलू को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई। 

गुड्डू," जब देखो, मां गुड्डू की ही तरफदारी करती रहती है। उस गुड्डू का तो कुछ करना ही पड़ेगा। "

रात को जब गुड्डू और उसकी मां सो रहे थे तब बबलू उन सारे पैसों को अलमारी से चुरा लेता है। अगली सुबह गुड्डू फिर से शहर जाता है तो उसे वही औरत फिर से मिलती है। 

औरत," भाई, आज मुझे फिर से तुमसे एक नया घड़ा चाहिए। "

गुड्डू," आज यह तुम्हारा पांचवा घड़ा है। आखिर तुम इतने घरों का करती क्या हो ? तुम मुझसे हर रोज एक नया घटा लेती हो लेकिन क्यों ? " 

औरत," समय आने पर बता दूंगी भाई। " 

गुड्डू," ठीक है बहन, जैसी तुम्हारी मर्जी। "

गुड्डू उस औरत को एक और नया घड़ा दे देता है और आगे बढ़ जाता है। शहर पहुंचकर गुड्डू घड़े बेचने लग जाता है। काफी देर बाद भी कोई उसका घड़ा लेने नहीं आता। 

अब गुड्डू रोज अलग-अलग तरह के घड़े बनाकर ले जाता लेकिन कोई भी घड़ों को नहीं खरीदता। गुड्डू बहुत दुखी हो जाता है। उसके पास अब पैसे भी नहीं थे। 

गुड्डू फिर अपनी अलमारी में देखता है जहां उसने अपने कमाए हुए पैसे जमा किए थे लेकिन उसे मिलते नहीं है। 

गुड्डू," ना जाने मेरे पैसे कहां चले गए ? अब मैं क्या करूंगा ? घर पर तो कुछ खाने का सामान भी नहीं है। मां और भाई को क्या खिलाऊंगा ? "

आदमी," अरे ओ भैया ! सुना है तुम रंग-बिरंगे और सुंदर सुंदर मटके बनाते हो। हां, मुझे 500 मटके चाहिए लेकिन सिर्फ कल सुबह तक ही चाहिए। बना सकते हो तो बोलो। "

गुड्डू," हां हां, भाई क्यों नहीं ? मैं कल सुबह तक पूरे 500 मटके तैयार कर दूंगा। " 

आदमी," ठीक है भाई, तो मैं कल सुबह आता हूं। तुम अपने 500 मटके बनाकर रखना। "


इसके बाद वह आदमी वहां से चला जाता है जिसके बाद गुड्डू बड़ी मेहनत से रंग-बिरंगे और चित्रकारी से भरे हुए मटके तैयार करने लगता है। वह 500 मटके बना लेता है। 

बबलू," लगता है यह गुड्डू कुछ करने जा रहा है। मां के सामने फिर से अच्छा बन जाएगा। नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। "


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रात को जब गुड्डू और उसकी मां सो रहे थे तब बबलू गुड्डू के बनाए कुछ मटको को तोड़ फोड़ देता है। अगली सुबह जब गुड्डू उठता है तो वह देखता है कि उसके बनाए हुए कुछ घड़े खराब हो चुके हैं। 

गुड्डू," अरे यह कैसे हुआ ? अब मैं क्या करूंगा ? एक अच्छा मौका था कुछ पैसे कमाने का... अब कैसे इतनी जल्दी इतने सारे घड़े बनाऊंगा ? " 

जिसके बाद गुड्डू और दुखी हो जाता है। उसके बाद गुड्डू के पास वही औरत आती है जो हर रोज उससे मुफ्त में गाड़ी लिया करती थी। 

औरत," इतने दिनों से मैं तुम्हें ढूंढती हूं लेकिन तुम दिखते ही नहीं हो इसलिए मैंने सोचा कि तुम्हारे घर ही आ जाती हूं। "

गुड्डू," क्या करूं मैं ? कुछ दिनों से मेरा एक भी घड़ा नहीं बिकता इसीलिए मेरे पास पैसे भी नहीं थे। घर में बीमार मां और भाई है। अब बेकार में चक्कर लगाने से क्या होता ? 

एक अच्छा मौका मिला था, 500 मटके बनाने का लेकिन उसमें से आधे घड़े तो टूट चुके हैं। वह आदमी भी आता ही होगा। अब मैं क्या करूंगा ? " 

औरत (गुड्डू की यह बात सुनकर)," तुम दुखी क्यों होते हो भाई ? चलो एक बार मेरे साथ चलो। "

गुड्डू," लेकिन कहां पर ? " 

औरत," चलो तो सही... क्या पता तुम्हारी परेशानी का हल वहीं हों ? "


गुड्डू औरत के साथ चल देता है। औरत गुड्डू को एक ऐसे घर में ले जाती है जहां पर बहुत सारे मिट्टी के घड़े रखे थे। अचानक से वो औरत एक बुढ़िया में बदल जाती है। 

उसके पास बहुत सारे घड़े होते हैं और जिनमें बहुत सारा सोना - चांदी भरा हुआ होता है। यह सब देखकर गुड्डू डर जाता। 

बूढ़ी औरत," डरो नहीं बेटा, मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी। उस औरत का भी मेरा ही रूप है और यह भी मेरा ही रूप है जो अब खत्म होने जा रहा है। " 

गुड्डू को कुछ समझ नहीं आता। 

गुड्डू," यह क्या बोल रही हो ? बूढ़ी अम्मा, यह आप कैसे एक जवान औरत से बूढ़ी औरत में बदल गई और आपके पास इतने सोने चांदी से भरे हुए घड़े क्या कर रहे हैं ? "

बूढ़ी औरत," बताती हूं बेटा, सब बताती हूं। मैं भी तुम्हारी तरह पहले बहुत ही मेहनत और लगन से मिट्टी के मटके बनाया करती थी। 

एक दिन मेरे घर एक बाबा आए जो बहुत भूखे थे। मेरे घर में खाने को कुछ नहीं था सिवाय दूध और चावल के। इसीलिए मैंने उनके लिए खीर बना दी। 

खीर को खाकर वो बहुत खुश हो गए। फिर उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनसे कोई दो इच्छा मांग सकती हूं। 

मैंने पहली इच्छा उनसे मांगी कि मैं कभी लोगों के सामने बूढ़ी ना देखूं और दूसरी इच्छा मांगी थी कि मेरे घर में जितने भी घड़े हैं वह सब सोने चांदी से भर दे। और ऐसा ही हुआ। "

बूढ़ी औरत," लेकिन फिर बाबा ने कहा - जब तुम्हारी उम्र पूरी हो जाएगी तो तुम अपने असली रूप में आ जाओगी। इसलिए इस दुनिया को छोड़कर जाने से पहले तुम यह सब एक ऐसे इंसान को दे देना जो तुम्हारी ही तरह मेहनत और लगन से काम करता हूं और जिसके हाथ के बनाए घड़े में सोना रखने से वह दुगना हो जाए। " 


बूढ़ी औरत," इसीलिए मैं जाकर गांव गांव से अलग-अलग जगहों से मिट्टी के घड़े लेती हूं। लेकिन जब मैंने तुम्हारा मिट्टी का घड़ा लिया और उसमें सोना रखा तो वह सच में दोगुना हो गया। 

इसीलिए मैं तुमसे हर रोज एक नया घड़ा लेने लगी और यह सोना दोगुना होता चला गया। अब मेरी उम्र भी पूरी हो चुकी है और मेरे जाने का समय भी पूरा हो चुका है। इसीलिए मैं तुम्हें यहां लेकर आई हूं। "

गुड्डू यह बात सुनकर हैरान हो जाता है। 

गुड्डू," लेकिन बूढ़ी अम्मा, मैं इतने सारे सोने का क्या करूंगा ? मुझे इतने सोने चांदी की जरूरत नहीं है। "

बूढ़ी औरत," मैं जानती हूं बेटा। तुम्हें तो केवल इसमें से एक ही घड़ा लेना है बाकी सब तो अपनी अपनी जगह पहुंच जायेंगे। 

गुड्डू," अपनी-अपनी जगह... मतलब कहां पर ? "

बूढ़ी औरत," मेरे मरने के बाद बाकी का सोना चांदी मेरे साथ ही चला जाएगा बेटा और तुम्हारे पास जो सोने चांदी से भरा मटका रहेगा

वह केवल तभी तक तुम्हारे पास रहेगा जब तक तुम कोई गलत काम नहीं करते। तुम इससे जरूरतमंद लोगों की मदद करना जिससे यह सोना अपने आप ही दोगुना होता चला जाएगा। "

गुड्डू," ठीक है, मैं ऐसा ही करूंगा। मैं इसका कभी भी गलत इस्तेमाल नहीं करूंगा और हमेशा गरीबों की मदद करूंगा। "

इसके बाद गुड्डू वहां रखे मटकों में से एक मटका उठाता है और घर चला आता है। घर आते ही बबलू उसे देख लेता है। 

बबलू," अरे मां ! जल्दी आ। देख अपने लाड़ले को, लगता है किसी की चोरी करके आया है। इतना सारा सोना चांदी... रुक रुक, कहां से लाया है तू यह सब ? "

गुड्डू," नहीं भाई, मैंने किसी के घर चोरी नहीं की है। "


कमला," बेटा, मैं जानती हूं कि तू कभी किसी के यहां से चोरी नहीं कर सकता लेकिन इतना सारा सोना चांदी तेरे पास आया कहां से ? "


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इसके बाद गुड्डू अपनी मां और अपने भाई को पूरी कहानी बताता है। 

कमला," मैं ना कहती थी, तू मेरा हीरा है हीरा। यह तेरी मेहनत और लगन का ही फल है जो तुझे सोने चांदी से भरा हुआ यह मटका मिला। "

बबलू," मुझे माफ कर देना भाई। मैंने ही तुम्हारे बने बनाए मटके खराब किए थे। मेरी वजह से तुम्हें कितनी परेशानी उठानी पड़ी। 

मां हमेशा तुम्हारी तारीफ किया करती थी जो मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती थी। लेकिन सच में मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है। मुझे माफ कर दो भाई। "

गुड्डू," कोई बात नहीं भाई, मुझे अब तुमसे कोई शिकायत नहीं है। अब हम दोनों भाई मेहनत करेंगे और पहले से ज्यादा अच्छे घड़े तैयार करेंगे। इस सोने चांदी से जरूरतमंद लोगों की मदद भी करेंगे। "


इसके बाद से ही गुड्डू अपने गांव के सभी जरूरतमंद लोगों की मदद करने लगा और अपनी मां एवं भाई के साथ खुशी-खुशी रहने लगा।


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Pradeep Kushwah

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