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सोने का घड़ा | Sone Ka Ghada | Hindi Kahaniya| Jadui Kahani

सोने का घड़ा | Sone Ka Ghada |  Hindi Kahaniya| Jadui Kahani
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Jan 25, 2023

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई मजेदार Series में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " सोने का घड़ा " यह एक Jadui Kahani है। अगर आप भी Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Jaadui Kahaniya पढ़ने का शौक रखते है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

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Sone Ka Ghada | Golden Pitcher |  Hindi Kahaniya| Jadui Kahani



 सोने का घड़ा 

दयालपुर नामक गांव में किशन नामक एक गरीब किसान रहता था। वह स्वभाव से बिल्कुल सीधा और सबकी मदद करने वाला इंसान था। 

परंतु इतनी मेहनत करने पर भी उसके घर का गुजर बसर भी बहुत मुश्किल से चल पाता था। किशन के घर में उसकी पत्नी साक्षी भी थी जो गर्भवती थी। 

किशन," मैं दिन-रात कितनी मेहनत करता हूं फिर भी हम लोग रुखा सुखा ही खाते हैं। तुम्हारी इस हालत में तो तुम्हारे लिए अच्छा खाना होना चाहिए। 

परंतु तुम्हें क्या लगता है हमारे पास कभी इतने पैसे होंगे कि हम लोग अच्छा खाना पीना खा सकेंगे और आराम की जिंदगी जी सकेंगे ? "

साक्षी," आप इतना निराश क्यों हो रहे हो ? आप अपना काम ईमानदारी और मेहनत से करते रहिए। भगवान हमें इसका फल जरूर देंगे और हर चीज सही समय पर ही मिलती है। 

आपने कभी किसी का बुरा नहीं किया बल्कि जो भी आपसे मदद मांगता है आप तुरंत उसकी मदद करते हैं। भगवान आपको इसके बदले में अच्छा फल जरूर देंगे। "

 साक्षी इसी तरह की बातें करके किशन को दिलासा दिया करती थी। किशन का बड़ा भाई घनश्याम भी इसी गांव में रहता था। दोनों भाइयों ने पिता की मृत्यु के बाद आधी आधी जमीन ले ली थी। 


घनश्याम एक चालाक व्यक्ति था। उसने चालकी से अच्छी और उपजाऊ जमीन ले ली थी और बेकार जमीन किशन को देदी। घनश्याम को अपनी जमीन से पैदा हुई फसल का अच्छा मुनाफा होता था। 

पर वह कभी भी अपने छोटे भाई की मदद नहीं किया करता। इसके बावजूद भी किशन ने कभी भी इसके बारे में शिकायत नहीं की। किशन अपने खेतों में खूब मेहनत करता।

किशन," साक्षी मैं खेतों पर जमीन जोतने जा रहा हूं। आज दिन भर वही रहूंगा। शाम तक ही काम पूरा हो पाएगा। तुम अपना ध्यान रखना और समय पर खाना खा लेना, ठीक है। "

साक्षी," परंतु क्या आप खाना खाने के लिए भी घर नहीं आएंगे ? "

किशन जानता था कि घर में केवल थोड़ा सा ही राशन बचा है इसीलिए वह जानबूझकर साक्षी से से कहता है," देखो मैं वहीं कुछ खा लूंगा लेकिन तुम समय पर खाना जरुर खा लेना। ऐसी हालत में भूखा रहना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। "

किशन खेतों की तरफ जा रहा था तभी घनश्याम ने पीछे से उसे आवाज लगाई," अरे किशन ! सुनो तो जरा। "

किशन," अरे ! घनश्याम भैया आप। "

घनश्याम," देखो मुझे तुम्हारी भाभी को लेकर शहर के डॉक्टर को दिखाने जाना है। यदि आज तुम मेरी जमीन की जुताई कर दो तो बड़ी मेहरबानी होगी। "

यह सुनते ही किशन सोच में पड़ जाता है। 

किशन," भैया पर आज तो मुझे अपने खेतों की भी जताई करनी है। "

घनश्याम बहुत ही चालाक व्यक्ति था। वह बातें बनाकर किशन को अपनी बातों में फंसा लेता है।

घनश्याम," अरे भैया ! आज मेरे खेतों में जुताई होना बहुत जरूरी है और तुम्हारी भाभी को शहर के डॉक्टर के पास ले जाना भी बहुत जरूरी है। यह काम इतना जरूरी नहीं होता तो फिर मैं तुमसे नहीं कहता। लेकिन तुम्हारे सिवा मेरा है ही कौन ? "

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किशन अपने भाई की भावुक बातों में आ जाता है और कहता है," यह तो बिल्कुल ठीक बात है। जब एक भाई दूसरे भाई के काम नहीं आएगा तो भला कौन आएगा ? आप चिंता ना करें। 

मैं आज पहले आपकी ही की जमीन पर खुदाई करूंगा। उसके बाद मैं अपने खेतों में जुताई कर लूंगा। आप भाभी को लेकर डॉक्टर के पास चले जाएं। "

घनश्याम," धन्यवाद किशन... तुम ने तो मेरी बहुत बड़ी समस्या हल कर दी। तुम शाम तक मेरे खेतों की जुताई जरूर कर देना ठीक है ना। मैं शाम तक वापस आ जाऊंगा। "

इस तरह से अपनी बातों में फंसा कर घनश्याम किशन को अपने खेतों की जुताई में लगा देता है और फिर अपने काम से निकल जाता है। 


किशन पूरा दिन मेहनत कर के घनश्याम की जमीन जोत देता है। शाम को घनश्याम जब खेत देखने आता है तो सारे खेत की जुताई हुआ देख मन ही मन खुश होता है।

वह सोचता है," कितना बेवकूफ है मेरा छोटा भाई ? मैंने उसे अपनी बातों में फंसा लिया और उस बेवकूफ ने अपना सारा काम छोड़कर पूरा दिन मेरी जमीन को खोदने में लगा दिया। चलो मुझे क्या ? मेरा तो काम हो गया, हा हा हा। "

घनश्याम केशव से कहता है," अरे भाई! बहुत बहुत धन्यवाद... तुम ने तो पूरी जमीन जोत दी। अरे ! वाह वाह... मैं कल आराम से इसमें बीज बो सकता हूं। "

किशन," इसमें धन्यवाद कैसा भाई ? अपने बड़े भाई की मदद करना तो मेरा फर्ज है। इस तरह थका हारा किशन अपने घर लौट आता है। " 

साक्षी," आप हाथ मुंह धो लीजिए और पहले खाना खा लीजिए। बहुत थके हुए लग रहे हो। "

किशन मन ही मन सोचता है," मेरे लिए लिए खाना बचा ही नहीं होगा और अगर बचा होगा तो शायद इसी ने कुछ नहीं खाया। "

किशन," यह खाना तुम खा लो। मुझे बिल्कुल भी भूख नहीं है। क्या हुआ..?? आपको भूख क्यों नहीं लगी ? "

किशन," अरे ! आज घनश्याम भैया के खेतों पर काम चल रहा था ना तो उन्होंने मुझे खाना खिला दिया और अब मुझे और खाना खाने की इच्छा भी नहीं है। "

घर की स्थिति देखकर किशन मन ही मन बहुत दुखी होता है और सोचता है," हे भगवान ! मैं कितना बेबस हूं कि अपने पत्नी का भी पेट नहीं भर सकता। बेचारी इस हालत में भी घर का सारा काम करती है लेकिन फिर भी उसे खाना नहीं मिलता। मुझसे इसकी हालत नहीं देखी जाती। "

यह सोचते-सोचते किशन सो जाता है तो वह अपने सपने में देखता है कि लक्ष्मी उसके ऊपर सोने के सिक्कों की वर्षा कर रही है। अगले दिन किशन उठते ही यह बात अपनी पत्नी को बताता है।

किशन," रात को मैंने एक सपना देखा... महालक्ष्मी मेरे ऊपर सोने के सिक्कों की वर्षा कर रही है और हमारी गरीबी दूर हो गई है। "

साक्षी," यह तो बहुत अच्छा सपना है। सुबह का सपना तो सच होता है। देखो... भगवान आपकी मदद जरूर करेंगे। "

किशन," चलो आज जाकर खेतों की जुताई करनी है। वहां से आते आते कुछ खाने का सामान भी लेता आऊंगा। यह कहते हुए किशन खेतों पर चला जाता है और वहां जाकर जताई का काम शुरू करता है। जताई करते-करते जमीन से एक मटका निकलता है। 

किशन," अरे ! यह क्या है ? लग रहा है कोई बड़ा सा बर्तन है। खोदकर देखता हूं कि आखिर यह है क्या ? "

किशन जैसे ही थोड़ी और खुदाई करता है उसे एक बड़ा सा सोने का मटका दिखाई देता है। मटका खोदने पर उसकी आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। उसमें सोने की दो मोहरे पड़ी थी।

किशन," अरे ! यह क्या ? मटके में तो सोने की दो मोरे पड़ी हुई है। भगवान ने मेरी सुन ली और मेरा सपना सच हो गया। इसीलिए मुझे सोने की मोहरे मिली है। "

तभी अचानक उसके सामने एक बूढ़ी अम्मा आती है और कहती है," बेटा, मैं एक लाचार बढ़िया हूं। अपनी एक प्यारी सी गाय का दूध बेचकर अपना पेट भरती हूं। 

मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। पर वह गाय बहुत बीमार हो गई है और उसके इलाज में बहुत खर्चा होगा। क्या तुम मेरी कुछ मदद कर सकती हो ? भगवान तुम्हारी सब परेशानियां दूर कर दे। "


उसे देखकर थोड़े समय के लिए किशन सोच में पड़ गया और सोचने लगा," जिस तरह मैं गरीब और लाचार हूं यह बढ़िया भी बिल्कुल वैसी ही है। 

भगवान ने मेरी मदद की और मुझे दो सोने की मोहरे दी है। क्यों ना मैं इनमें से एक मोहर इस बुढ़िया को दे दूं। इससे इसकी भी परेशानी दूर हो जाएगी। "

बस यही सोचकर किशन उस बढ़िया को एक सोने की मोहर पकड़ा देता है।

किशन," अम्मा, मेरे पास पैसे तो नहीं है लेकिन यह एक सोने की मोहर है। इसे बाजार में बेचकर आपको अच्छा खासा पैसा मिल जाएगा जिससे आप अपनी गाय का इलाज करा सकेंगी। "

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बुढ़िया," तुम खुद मुसीबत में हो लेकिन फिर भी दूसरों के बारे में सोच रहे हो। मेरा आशीर्वाद है कि कभी भी तुम्हें गरीबी का सामना नहीं करना पड़ेगा। "

एक सोने की मोहर को निकालकर बाजार में जाकर बेचता है और अपने घर के लिए खाने पीने का सामान लेकर घर वापस आता है। 

साक्षी किशन को देखकर पूछती है," आप तो बहुत सारा सामान लेकर आ गए। यह मटका कैसा है ? "

किशन," आज मुझे खेत जुताई करते समय यह सोने का मटका मिला है। इसमें मिली एक सोने की मोहर मैंने बेच दी। उसी से बहुत सारे पैसे मिले हैं जिससे मैं खाने पीने का सारा सामान ले आया। "

किशन और साक्षी उस रात भर पेट खाना खाकर आराम से सो गए। तभी किशन को एक फिर से सपना दिखा जिसमें महालक्ष्मी किशन से कहती है," किशन, मैं बहुत खुश हूं। तुमने मुसीबत में होते हुए भी एक लाचार बढ़िया की मदद की। 

तुम्हारे पास केवल दो ही मोहरे थी जिसमें से तुमने एक उसे दे दी। मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूं... जो घड़ा तुम अपने खेत से लाए हो वह एक जादुई सोने का घड़ा है जिसमें रोजाना सुबह एक सोने की मोहर आएगी जिसे बेचकर तुम अपना घर चला सकोगे। 

उस जादुई घड़े में केवल एक ही मोहर आएगी। तुम्हें जीवन भर गरीबी का सामना नहीं करना पड़ेगा और अब से तुम्हारा जीवन सुखमय और खुशहाल हो जाएगा। "

किशन अचानक से उठ जाता है और सपने के बारे में सोचता है," 1 दिन पहले वाले सपने में महालक्ष्मी ने मुझे सोने की मोहर दी और वह सपना सच हुआ। लगता है हर रोज एक सोने की मोहर वाली बात भी सच होगी। महालक्ष्मी ने मुझ पर कृपा की। "

अगले दिन जैसे ही किशन घड़े को देखता है तो उसमें एक सोने की मोहर आ गई थी। यह देख किशन नाचने लगता है और अपनी बीवी साक्षी को सारी बात बताता है।

सच्ची," देखा... मैं ना कहती थी, समय पर सब कुछ ठीक हो जाएगा। आपने हमेशा लोगों की मदद की है। इसी का फल भगवान ने आपको दिया है। अब हमारी परेशानी और गरीबी के दिन दूर हो गए हैं। 


यदि हर रोज हमें एक सोने की नई मोहर मिलेगी तो हमारा घर खर्च भी अच्छा चलेगा और खेती के लिए भी बाजार से सामान आ जाया करेगा। आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। "

इसके बाद हर रोज उस जादुई घड़े में एक नई सोने की मोहर आती और उसे बेचकर किशन अपनी जिंदगी चलाता। अब उन दोनों की जिंदगी बहुत आराम से कट रही थी। वह हर एक जरूरतमंद इंसान की मदद कर देता था। किशन के घर इस तरह पैसे आते देख घनश्याम सोच में पड़ जाता है कि आखिर इसके पास पैसा आ कहां से रहा है ?

यह जानने के लिए घनश्याम किशन से कहता हैं," अरे भाई ! कैसी चल रही है जिंदगी ? मैंने सुना है तुमने अपने मकान की बहुत अच्छी मरम्मत करवाई है और घर में खूब सामान भी ले लिया। कहीं से लॉटरी लग गई है क्या ? "

किशन बहुत सीधा था। वह अपने भाई को सारा सच बता देता है।

किशन," भैया मैं आप से कहता था ना कि मेरी बीवी ने मुझसे कहा है कि भगवान हमारी ईमानदारी का फल हमें जरूर देता है । बस कुछ यही समझ लीजिए कि भगवान ने हमारी मदद की है और मुझे एक जादुई घड़ा दे दिया है जिसमें रोजाना मुझे एक सोने की मोहर मिलती है। बस उसी से हमारी जिंदगी आराम से कट रही है भैया। "

जादुई सोने के घड़े के बारे में सुनकर घनश्याम का सर चकरा जाता है और उसके मन में उस जादुई घड़े को पानी का लालच आ जाता है। वह दिन मौका देखकर किशन के घर में घुस जाता है। उसे सामने वह जादुई घड़ा दिखाई देता है।

घनश्याम," अरे ! तो यही है वह जादुई घड़ा। मुझे तो इसे पाने में कुछ ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। चलो मेरा काम हो गया। इसे अपने घर ले जाऊंगा और रोज इसमें से एक सोने की मोहर उठाऊंगा। "

घनश्याम जैसे ही उस घड़े को हाथ लगाता है, वह सोने के घड़े से मिट्टी के घड़े में बदल जाता है। 

घनश्याम," अरे यह क्या हुआ ? किशन ने कहा था कि यह तो जादुई घड़ा है परंतु मेरे छूते ही यह मिट्टी का घड़ा कैसे बन गया ? अब मुझे यहां से जाना होगा। किसी और दिन मौका देखकर इसे चुरा ले जाऊंगा। "

घनश्याम घड़े को चोरी करने के इरादे से दूसरी बार किशन के घर में आता है। लेकिन जैसे ही वह फिर से उस घड़े को छूता है, वह मिट्टी का बन जाता है। तभी अचानक किशन वहां आ जाता है।

किशन," अरे भैया ! आप यहां। यहां आना कैसा हुआ ? "

घनश्याम उसे देखकर घबरा जाता है और उससे झूठ बोलता है।

घनश्याम," अरे किशन भाई ! मेरे मुर्गी पता नहीं कहां चली गई है। बस उसे ही ढूंढते हुए यहां आया था। मैंने सोचा शायद पीछे के दरवाजे से तुम्हारे घर में घुस गई हो। लेकिन यहां तो नहीं मिली। अच्छा मैं चलता हूं। "

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किशन अपने भाई की भावना को समझ जाता है। 


किशन," भाई मटका चुराने के लिए घर में घुसा है। परंतु मैं उसे कुछ नहीं कह सकता। "

उधर घनश्याम भी समझ जाता है," यह मटका भाई को भगवान ने उसकी इमानदारी के लिए दिया है। उसका जादू केवल उसी के लिए है। किशन की अच्छाई और ईमानदारी का फल भगवान ने उसे दिया है। "

हम लोगों को अपने जीवन में नेकी और सच्चाई से जीवन जीना चाहिए। अगर हम मेहनत और ईमानदारी से काम करेंगे तो भगवान भी हमारी मदद जरूर करेंगे।



इस कहानी से आपने क्या सीखा नीचे Comment में अवश्य बताएं।


Pradeep Kushwah

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